चर्चित नई किताबें ढूंढ रहे पुस्तकप्रेमी
लखनऊ मोती महल लॉन में चल रहे 18वें पुस्तक मेले के चौथे दिन साहित्यप्रेमियों की भीड़ रही। लोगों ने अपनी मनपसंद किताबें खरीदीं, बच्चों, युवाओं के अलावा महिलाओं की भी भीड़ बुक स्टॉलों पर खूब रही। दिन में मेले के मुख्य मंच पर साहित़्यिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन हुए। गोष्ठी, विमोचन और परिचर्चाओं का दौर देर रात तक चलता रहा।
पुस्तक मेले में साहित्य जगत में आई नई किताबों की इस बार लंबी फेहरिस्त है। जिसमें वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर नामवर की दृष्टि में मुक्तिबोध, नामवर की ही लिखी पन्नों पर कुछ दिन, देवेंद्रराज अंकुर की रंगमंच की कहानी कि याद जो करें सभी, शेष नारायण सिंह की शेष जी, मुकेश भारद्वाज की सत्ता के मोक्षद्वार, प्रभा खेतान की अपने-अपने चेहरे, अंजु रंजन की वो कागज की कश्ती सहित अन्य किताबें हैं।
राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के बुक स्टॉल पर मुकाबला जातीय इम्तिहानात, उर्दू अदब में मजमून का इर्तिका, उर्दू शायरी में कौमियत का तसव्वुर, रामपुर के फारसी गोशॉरा, तल्लफुज उर्दू उच्चारण किताबों की चर्चा है।
हिंदी वांग्मय साहित्य स्टॉल पर हमारा लखनऊ पुस्तक माला की लखनऊ पर केंद्रित पुस्तकें खूब पसंद की जा रहीं हैं। भारतीय पुस्तक न्यास के स्टॉल पर क्षमा शर्मा की मेरी फुटबाल, अमर गोस्वामी की चुनिंदा बाल कविताएं, अखिलेश श्रीवास्तव की दादी की दादी, लेखाराम की छोटे पौघे बड़े पौधे, मॉर्गरेट भट्टी की कहानी बुढिया की बाल पुस्तकें मौजूद हैं। सेतु प्रकाशन के स्टॉल पर प्रेमंचद का निर्मला, गोदान, हमारे राश्ट्रीय प्रतीक, जानो संविधान व बेटी की बात पुस्तकें हैं।
इसी तरह वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर जब लुटेरे इलायचीपुर आये, मेरी बड़ी किताब, अर्जुन और उसका गांव व पगलुदासु किताबें हैं।
यह हुए आयोजन:
अखिल भारतीय अगीत परिषद की ओर से रंगनाथ मिश्र सत्य की अध्यक्षता व देवेश द्विवेदी देवेश के संचालन में चले काव्य समारोह में प्रो. वीजी गोस्वामी के गजल संग्रह एहसास का हमसफर का विमोचन हुआ।
रामप्रकाश गुप्त, डॉ. श्याम गुप्त, डॉ. प्रवीण त्रिपाठी, डॉ. योगेश, मो. ओसामा, मंजू सक्सेना, कृपाषंकर, शीला वर्मा, प्रियांशु सहित अन्य ने प्रभावी रचनाएं पढ़ीं।