लखनऊ। बिना ड्यूटी किये महीने भर का वेतन लेने वाले इस्लामिया डिग्री कालेज में 19 शिक्षकों व कर्मचारियों को कालेज से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। आरोप हैं कि यह शिक्षक बिना स्टूडेंट को पढ़ाये हफ्ते दस दिन में कालेज आकर अटेंडेंस सीट पर अपने दस्तखत कर हर महीने कालेज से वेतन उठा रहे थे। गौरतलब है कि इनमें से कई कर्मचारी सरकारी विभागों में नौकरी भी करते थे। ये सभी शिक्षक व कर्मचारी कालेज के तत्कालीन प्रबंधक स्वर्गीय जफरयाब जिलानी के कार्यकाल में भर्ती किये गए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बताया जाता है कि स्वर्गीय जिलानी के चहेते होने के कारण इन कर्मचारियों पर कालेज का कोई नियम और कानून लागू नहीं होते थे। जिसके चलते इन शिक्षकों के हौसले बुलंद थे और वह बिना क्लास लिए अपनी शक्ल दिखाने के नाम पर कालेज से हर माह वेतन लेते थे। इन सभी शिक्षकों को कालेज से निकाले जाने का निर्णय कालेज की प्रबंध कमेटी ने लिया है। कालेज प्रशासन की इस सख्ती के बाद से यहां हड़कंप मचा हुआ है।
इस्लामिया डिग्री कालेज की प्रबंध कमेटी के जावेद सिराज, अतहर नवी, हम्माद अनीस नगरामी, डॉ अब्दुल कय्यूम, डॉ मोहम्मद साजिद और महफूज अहमद ने सामूहिक रूप से इन कर्मचारियों को कालेज से निकाले जाने का निर्णय लिया है। निर्णय के मुताबिक जैनुद्दीन सिद्दकी अंशकालिक प्रवक्ता रसायन विज्ञान, जेबा नसीम अंशकालिक प्रवक्ता रसायन विज्ञानं, सुश्री इरफाना, सैयद मोहम्मद दानिश रईस, मोहम्मद नावेद डस्टिंग वर्कर,मोहम्मद मुनीर खां, फूलबानो, कैंसर अकबर, सैयद उबैदुर्रहमान, नियाज अली, मतीन अहमद, नंदिनी, इल्मास परवीन, मेराज जहां, कुमार आशु, सुलेमान, कुमारी निगार और अफरोज को सीधे कालेज से निकाला गया है। इसी तरह जेबा तरन्नुम को कामर्स संकाय के राष्ट्रगौरव के प्रवक्ता पद से कार्यमुक्त कर दिया गया है। अब्दुल मुनीद खां को कालेज की नौकरी से निष्कासित कर दिया गया है। इन शिक्षकों को राष्ट्र गौरव पढ़ाने के लिए रखा गया था। केंद्र सरकार ने राष्ट्रगौरव पद समाप्त कर दिया है।