गर्मी के दिनों में बिजली की खपत स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है। जब गर्मी मई- जून के दिनों की तरह पड़ रही हो तब तो यह बात और भी अधिक सख्ती से लागू होती है। पंखा, कूलर, एसी आदि उपकरण चलाए जाने की जरूरत आ पड़ती है जिससे बिजली की खपत और भी अधिक बढ़ जाती है। यूपी में गर्मी अपने पूरे तेवर दिखा रही है।
कई शहरों में तापमान 45 डिग्री के पार पहुंच गया है। उस पर तुर्रा यह कि बिजली कटौती की जा रही है। प्रदेश में भारी बिजली कटौती के कारण लोगों का जीवन और बेहाल हो गया है। गांवों में दस घंटे तक कटौती की जा रही है। हालांकि सरकार का कहना है कि राज्य की एक तिहाई विद्युत उत्पादन इकाइयां क्षतिग्रस्त होने के बावजूद अधिक से अधिक बिजली देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मौसम विभाग के अनुसार फिलहाल इस भीषण गर्मी से राहत मिलने के संकेत नहीं हैं। ऐसे में स्पष्ट होता है कि गर्मी की समस्या अभी बनी रहने वाली है। ऐसे में राज्य सरकार का यह कर्तव्य बन जाता है कि बिजली अधिकतम उपलब्धता को सुनिश्चित करे। हालांकि यह बात सही है कि बिजली उत्पादन में समस्या है। कुछ विद्युत उत्पादन इकाइयां क्षतिग्रस्त हैं तो कई मामलों में बिजलीघरों को चलाने के लिए पर्याप्त कोयला उपलब्ध नहीं है जिस कारण विद्युत उत्पादन के काम में रुकावट आ रही है। यह समस्या दीर्घकालिक है। इसलिए सरकार को चाहिए कि इसके समाधान के लिए आवश्यक उपाय किए जाएं।