उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों पर उठाया सवाल कहा जब भारत सरकार ने आरडीएसएस स्कीम में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के खर्च को पब्लिक पर न डालने का दिया है आदेश तो उसे वार्षिक राजस्व आवश्यकता में अनुमोदित कराने की क्यों हो रही है बात, उसे उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जा सकता
लखनऊ, 13 दिसम्बर: प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों के तरफ से वर्ष 2024- 25 का रुपया 101784 करोड का दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता ए0आर0आर के खिलाफ आज उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री अरविंद कुमार व सदस्य श्री संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर एक प्रस्ताव दाखिल करते हुए बड़ा मुद्दा उठा दिया जिससे पूरे मामले में नया मोड आ गया है और एक पेच भी फंस गया है।
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि पिछले 5 वर्षों से विद्युत नियामक आयोग द्वारा जो भी टैरिफ आदेश जारी किया गया है उसके खिलाफ बिजली कंपनियां माननीय अपीलीय ट्रिब्यूनल में रिव्यू याचिका दाखिल की हैं और वह उन सभी बिंदुओं चाहे वह वितरण हानियों का मामला हो स्मार्ट मीटर के ओपेक्स का मामला हो संचालन एवं रखरखाव खर्च का मामला हो व अन्य अनेकों वित्तीय पैरामीटर जिस पर विद्युत नियामक आयोग हजारों करोड की कटौती हर साल करता है। उसको सही ठहराने के लिए अपीलीय ट्रिब्यूनल में मुकदमा लड रही है और अब उन्ही पूर्व में खारिज वित्तीय पैरामीटर के आधार पर सभी बिजली कंपनियां वार्षिक राजस्व आवश्यकता तैयार कर उसको अनुमोदित कराने की मांग कर रही है जिन वित्तीय पैरामीटर को विद्युत नियामक आयोग अनेकों वर्षों से खारिज करता चला रहा है उन वित्तीय पैरामीटर पर ए0आर0आर स्वीकार नहीं हो सकता इसलिए या तो वार्षिक राजस्व आवश्यकता को खारिज किया जाए या तो उसमें जो सैकडो विसंगतियां है उसे संशोधित कराया जाए।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा एक तरफ भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय कहता है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जा सकता और उससे संबंधित आदेश जारी कर रखा है वहीं दूसरी तरफ वार्षिक राजस्व आवश्यकता में बिजली कंपनियों ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर के ओपेक्स की बात कर रही हैं और आरडीएसएस स्कीम की बात कर रही है और उसे अनुमोदित कराने की मांग उठा रही है दूसरी सबसे बडी अनियमित यह है कि जब भारत सरकार प्रदेश की बिजली कंपनियों व उत्तर प्रदेश सरकार ने त्रिपक्षीय उदय का समझौता किया उसके आधार पर वितरण हानियां पर बिजली दर तय की गई उदय ट्रजैक्ट्री के आगे अपने द्वारा अनुमोदित बिजनेस प्लान के तहत दर तय की गई अब आरडीएसएस में अधिक बिजली हानियों को अनुमोदित करने की बात की जा रही है और वह भी विद्युत ऊर्जा मंत्रालय द्वारा बनाए गए एक रूल के आधार पर यह संभव नहीं हो सकता क्योंकि पहले भी भारत सरकार की ट्रजैक्ट्री पर बिजली दर तय की गई है इसलिए अब वही ट्रजैक्ट्री चलेगी।
उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग से यह मांग उठाई कि जब प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड रूपया सर प्लस निकल रहा है उसके एवाज में बिजली दरों में कमी की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाती बार-बार बिजली कंपनियों यह कह देती है कि इसके खिलाफ उनके द्वारा माननीय अपीलीय ट्रिब्यूनल में मुकदमा लगाया गया है इसलिए इस पर कार्यवाही ना की जाए तो यह गलत है जब तक मुकदमे पर कोई स्टे ऑर्डर न हो या कोई अन्य ऑर्डर न हो कार्यवाही नहीं रोकी जा सकती। इसी तरह बिजली कंपनियां जब अपनी आती है तब वह दूसरी बात करती हैं विद्युत नियामक आयोग द्वारा खारिज सभी पैरामीटर पर जब बिजली कंपनियां ट्रिब्यूनल में मुकदमा दाखिल कर चुकी हैं तो उन पैरामीटर को अनुमोदित करने की बात कैसे कर सकती हैं इसलिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता खारिज होना जरूरी है।
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