ऊर्जामंत्री ने कहा बिजली संकट न होने पाये इससे निपटने के लिए सरकार हर जरूरी कदम उठा रही है
उत्तर प्रदेश में भी लगभग 4500 मेगावाट की उत्पादन गृह बंद है या कम क्षमता पर मशीनें चल रही ऐसे में यह मना जा रहा है कि कोयले की कमी की वजह से बिजली की कटौती ग्रामीण शैडूल्ड में हो रही है। इस मामले को लेकर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रदेश के ऊर्जामंत्री से मिलकर प्रस्ताव सौपते हुए कयोला संकट पर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की और कहा पूरे देश में कोयला संकट है ऐसे में उससे निपटने के लिए कुछ आवश्यक कदम तत्काल सरकार को उठाना चाहिए।
उन्होंने कहा इस संकट में उत्तर प्रदेश सरकार को 400 मेगावाट हाईड्रॉ की बिजली थोड़ा सा प्रयास करने से मिल सकती है क्योंकि इससे सम्बंधित एक याचिका जो विद्युत नियामक आयोग में लंबित है उस पर तत्काल निर्णय कराया जाए। उन्होंने इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को इस संकट से निपटने के लिए एक आर्थिक पॅकेज का एलान भी करना चाहिए जिससे पावर कार्पोरेशन कोयले और बिजली की खरीद से पीछे न हटे।
प्रदेश के ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा बिजली संकट न होने पाये इससे निपटने के लिए सरकार हर जरूरी कदम उठा रही है सभी उच्चाधिकारियो को सभी उत्पादन गृहो पर नजर रखने को कहा गया है जिससे सभी जगह कोयले की आपूर्ति सुनिक्षित की जा सके और जिन भी माध्यमों से बिजली खरीद आवश्यक होगी की जाएगी जिससे उपभोक्ताओ को कोई बिजली कटौती की मार न झेलनी पड़े।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने पूरे देश के कोयला संकट पर एक विस्तृत रिपोर्ट सौपते हुए कहा पूरे देश में कोल् इंडिया का पांच वर्षो का कोल् डिस्पैच देखा जाय तो वह 2015 – 16 में 535 मिलियन टन और वर्ष 2020-21 में लगभग 574 मिलियन टन सबसे ज्यादा वर्ष 2018-19 में कोल इंडिया ने लगभग 608 मिलियन टन कोयला खदानों से निकाल कर बेचा है अगर सबसे अधिकतम खपत को आधार मान कर देखा जाय देखा जाय तो 50 मिलयन टन कोयला देश के तापीय उत्पादन इकाईयो में हर माह खपत होता है और कुछ जरुरत विदेशों से आने वाले कोयले से पूरा होता है।
उन्होंने कहा कि वतर्मान में कोयला मंत्री का कहना है की बिजली आपूर्ति बाधित होने का बिल्कुल भी खतरा नहीं है। कोल इंडिया लिमिटेड के पास 24 दिनों की कोयले की मांग के बराबर 43 मिलियन टन का पर्याप्त कोयले का स्टॉक है। ऐसे में स्टॉक होने से काम नहीं चलने वाला जबतक कोयला उत्पादन घरो तक न पहुंच जाय एक सबसे बड़ा सवाल यह उठना लाजमी है कि जितना कोयला स्टॉक में उपलब्ध है उसका आधा कोयला तो देश में जो उत्पादन गृह कम कपैसिटी पर चल रहे और बंद है उन्ही की जरुरत भर का होगा ऐसे में केंद्र सरकार को कोयले का भण्डारण बढाकर कोयले की किलत को दूर करना होगा दूसरा सबसे बड़ा मामला यह है की बिजली उत्पादन गृहो को कानूनन 15 दिन और 30 दिन का कोयला स्टॉक में होना चाहिए जो उपभोक्ताओ की टैरिफ में पास आन भी होता है आज पूरे देश में तापीय उत्पादन गृहो की जो पोजीशन है उनके पास औसत 5 दिन से जायदा कोयला स्टॉक में नहीं है इसका मतलब देश में कोयले की किल्लत तो है और अगर किल्लत नहीं है तो ग्रामीण क्षेत्रों में कोयले की वजह से कटौती क्यों हो रही है।