मैं झुटावद (मेरा गाँव) में इतने वृक्ष लगा देना चाहता हूँ कि दूर कहीं जब देवदार के लम्बे वृक्ष आवाज दे तो उनके छोटे बन्धु आम – जामुन को सुनाई दे। पीटर वोलेबेन अपनीं किताब हिडन लाइफ ऑफ़ ट्री में कहते है कि जंगल में एक- एक पेड आपस में जुड़े रहते है और एक दुसरे को पोषित करते रहते है। मेरे भीतर इस बात का कोतुहल है कि क्या मध्यप्रदेश के जंगल हिमाचल के जंगल से जुड़े हैं ? क्या नर्मदा और व्यास का कोई राब्ता है ?
मांडू की कहानी सुनकर जरा सी देर लगा कि मांडू आरामदेह वाली नगरी रही है। ये नगरी जो बाज बहादुर और रूपमती के इश्क की दास्तान समेटे सदियों से प्रेमियों के लिए चश्म -ओ चिराग – बनी हुई है। जब एक पहाड़ी लड़की यहाँ जहाज महल में गर्मियों में आने वाली ठंडी हवा से चहचहा उठती है तो लगता है कि वाकई मांडू में कुछ तो खास है जिसके लिए दुनियाभर के लोग दीवाने हुए। मांडू के आबोहवा के इश्क में वो हिमायत तो है कि बाजबहादुर अकबर की सेना से भीड़ गए।
मांडू के जहाज महल में दिखाई जाने वाला लाइट एंड साउंड शो इतना लाज़वाब है कि लगता है जैसे पलके झपकाने में कुछ छुट ना जाए। उसने रूपमती महल ऐसे देखा जैसे वो महारानी रूपमती को जानती हो, जैसे जानती हो कि नदी पास होना कितना जरुरी है। उसने बाजबहादुर से कहा कि तुम्हें प्यार तो करती हूँ लेकिन कैसे मैं रेवा से दूर रह सकती हूँ और मुझे सुनाई दे रहा था कैसे में व्यास से दूर रह सकती हूँ।
सादियाबाद, खुशियों का शहर मांडू। इस पर हर तरीके के लोगो ने प्रहार किया,मानो लग रहा हो जैसे हजारों चीज़े बीच में हो, कभी बैचेनी है कभी मन अशांत। जैसे कान्हा के जंगल में आग लग गई हो जैसे व्यास उफान पर हो और अपने किनारे छोड़ रही हो, जैसे एक वर्ष ना जामुन आये ना काफल ना अच्छे स्वाद के आम , फिर भी जाने क्यों संतुष्टि है बिलकुल उस इन्सान की तरह जो जामा मज्जिद के सामने असरफी महल के धुप में सोया था इस बात से बेख़बर की कोई दूर हिमाचल की लड़की मांडू देखने आई है।
इस से ज्यादा मुझे क्या मिलेगा
मुझे कुछ ना मिलने पर भी संतुष्टि मिली।
आंखों के महत्व को ऐसे समझा मैंने
जैसे तुझे देखने के लिए ये दृष्टि मिली
– नागेश पंचाल की एफबी वॉल से