सुनो
मैं जब जाऊंगी
तुम्हे बता नही पाऊंगी
तुम समझ जाना
और आ जाना
मैं निर्जीव भले ही होऊंगी
तन से
पर महसूस करना मन से
आना, मुझे सजाना
और छूकर याद दिलाना
कि देखो कर दिया
वादा पूरा….
फिर चूमकर मेरा माथा
विदा करना मुझे
और भरोसा रखना मैं
तुमसे दूर कहीं जा ही नही पाऊंगी
रह जाऊंगी तुम्हारी यादों में,
तुम्हारी हथेलियों में,
तुम्हारी आँखों में,
जब आईना देखोगे
खिल जाऊंगी मुस्कान बनकर
तुम्हारे होठों पर,
चमकने लगूंगी तुम्हारी आँखों मे…
– अंजू द्विवेदी