मजदूर दिवस : 1 मई पर विशेष
संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आम्बेडकर का मजदूर दिवस को ऐतिहासिक बनाने में कितना महत्वपूर्ण योगदान रहा है यह शायद ही काम लोग जानते होंगे। बता दें कि संविधान निर्माण के अलावा भी उनका एक योगदान ऐसा है, जिसने आजादी के पहलेसे आज तक हर नौकरीपेशा, कामगार या मजदूर के जीवन को प्रभावित किया है। और वह योगदान था दिन में काम के घंटों को 12 या 14से घटाकर 8 करवाना।
यह किस्सा उस दौर का हैजब देश में अंग्रेजों था और देश में ब्रिटिश सत्ता की ओर से शीर्ष व्यक्ति होते थे वायसराय। तब प्रशासनिक कामकाज संचालित करने के लिए ‘वायसराय की एक्जिक्यूटिव काउंसिल गठित की जाती थी। इसमें अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते थे जो वायसराय को सलाह देते थे। उसी आधार पर प्रशासनिक नीतियां बनती थीं।
गठन के कई साल बाद डॉ.आम्बेडकर को उनकी बुद्धिमत्ता, गहन अध्ययन और प्रखर सोच के चलते वायसराय की एक्जिक्यूटिव काउंसिल में श्रम सदस्य नियुक्त किया गया। तब उन्होंने सबसे अहम सलाह यही दी कि काम के घंटे 12 या 14 से घटाकर कर दिए जाएं।’ अंग्रेजों ने ना-नुकुर की, लेकिन बाबासाहब ने इतने प्रखर तर्क दिए कि काउंसिलना नहीं कर सकी। अंतत: यह नियम बन गया। आज भी यदि आप12-14 के बजाय आठ घंटे ही काम कर छुट्टी पालेते हैं, तो बाबासाहब को धन्यवाद दीजिए।