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    काश! सचिन दा का सुझाव गुरू ने माना होता

    ShagunBy ShagunOctober 11, 2022Updated:October 11, 2022 Featured No Comments2 Mins Read
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    वीर विनोद छाबड़ा

    ‘प्यासा’ से गुरुदत्त को बहुत फायदा हुआ था. जनता ने खुले दिल से स्वागत किया ही, इंटरनेशनल ख्याति भी मिली. मगर पर्दे के पीछे के हालात इतने अच्छे नहीं थे. साहिर और सचिन देव बर्मन में अनबन हो चुकी थी. साहिर का कहना था कि उनके लिखे गानों ने धमाल मचाया था जबकि सचिन दा इससे सहमत नहीं थे. वो अपने योगदान की सराहना भी चाहते थे. जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला…के लिए साहिर मो.रफी को चाहते थे और खुद गुरूदत्त भी. लेकिन सचिन दा ने हेमंत कुमार जो बुला लिया था. इसे लेकर भी अनबन चल ही रही थी.

    इधर गुरू की निजी ज़िंदगी में सब कुछ ठीक नहीं था. वहीदा से गुरू की नज़दीकियां को लेकर पत्नी गीता दत्त से मन-मुटाव पीक पर था. वो अक्सर बच्चों को लेकर अलग रहना शुरू कर देती थीं. उन्हें भी अच्छी गायिका होने का गुरूर था. गुरू ने अपनी ज़िंदगी की उथल-पुथल पर बायो-पिक ‘कागज़ के फूल’ की योजना बनाई. सचिन दा ने समझाया, अपनी ज़िंदगी को सार्वजनिक मत करो. अभी तुम्हारी ज़िंदगी का पीक नहीं आया है. नाकामी हाथ लगेगी. लेकिन गुरू नहीं माने. सचिन दा नाराज़ होकर उनके अगले प्रोजेक्ट से हट लिए. हालांकि कथ्य और डायरेक्शन और बाकी तमाम लिहाज़ से ‘कागज़ के फूल’ बेहतरीन थी मगर बॉक्स-ऑफिस पर बुरी तरह नाकाम रही. गुरू अपनी सारी दौलत लुटा चुके थे.

    उन्होंने क़सम खाई की अब डायरेक्शन कभी नहीं दूंगा. इधर सचिन दा तो गुरू से तौबा कर ही चुके थे. साहिर तो ‘प्यासा’ के दिनों से ही नाराज़ चल रहे थे. इसीलिए जब शुद्ध कमर्शियल ‘चौदहवीं का चाँद’ (1960) की घोषणा हुई तो उसमें संगीत के लिए रवि शर्मा आ गए और गीतों के लिए रवि के ही पसंदीदा शकील बदायुनी. डायरेक्शन के लिए उन्होंने मुस्लिम सोशल फिल्मों के एक्सपर्ट माने गए एम्.सादिक़ को चुना.

    उन दिनों गुरू के आर्थिक हालात इतने ख़राब हो चुके थे कि उन्हें के.आसिफ से दरख्वास्त करनी पड़ी कि ‘मुगले आज़म’ के कुछ सेट्स इस्तेमाल करने की इजाज़त दी जाए. और आसिफ ने भी दरियादिली दिखाई. एक पैसा भी नहीं लिया. ‘चौदहवीं का चाँद’ ने बॉक्स ऑफिस पर बेमिसाल कामयाबी हासिल की. गुरू का पिछला घाटा भी पूरा हो गया. मगर निजी ज़िंदगी में उथल-पुथल जारी रही जिसकी परिणीति अंततः उनकी आत्महत्या में हुई।

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