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    Home»साहित्य

    रुकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता..

    ShagunBy ShagunNovember 9, 2022 साहित्य No Comments2 Mins Read
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    Post Views: 1,156
    आगे सफर था और पीछे हमसफर था..
    रुकते तो सफर छूट जाता
    और चलते तो हमसफर छूट जाता..
    मंजिल की भी हसरत थी
    और उनसे भी मोहब्बत थी..
    ए दिल तू ही बता,
    उस वक्त मैं कहाँ जाता…
    मुद्दत का सफर था
    और बरसों का हमसफर भी था
    रुकते तो बिछड जाते
    और चलते तो बिखर जाते….
    बस यूँ समँझ लो यारों,
    प्यास लगी थी गजब की…
    मगर पानी में जहर था…
    पीते तो मर जाते
    और ना पीते तो भी मर जाते
    यही दो मसले
    जिंदगी भर नहीं हल हुए
    न नींद पूरी हुई,
    न ख्वाब मुकम्मल हुए
    वक़्त ने कहा…..
    काश थोड़ा और सब्र होता
    सब्र ने कहा….
    काश थोड़ा और वक़्त होता
    सुबह-सुबह उठना पड़ता है
    कमाने के लिए साहेब…
    आराम कमाने निकलता हूँ
    आराम छोड़कर।
    “हुनर” सड़कों पर तमाशा करता है
    और “किस्मत” महलों में राज करती है।
    शिकायतें तो बहुत हैं तुझसे ऐ जिन्दगी,
    पर चुप इसलिए हूँ कि जो दिया तूने,
    वो सभी को नसीब नहीं होता..
    अजीब सौदागर है ये वक़्त भी
    जवानी का लालच देकर
    बचपन ले गया….
    अब अमीरी का लालच देकर
    जवानी ले जाएगा।
    लौट आता हूँ वापस घर की तरफ…
    हर रोज़ थका-हारा,
    आज तक समझ नहीं पाया कि
    जीने के लिए काम करता हूँ या
    काम करने के लिए जीता हूँ।
    बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल -“बड़े होकर क्या बनना है ?”
    जवाब अब मिला है,
    “फिर से बच्चा बनना है।
    “थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
    मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे…”
    दोस्तों से बिछड़ कर यह हकीकत खुली…
    बेशक, कमीने थे पर रौनक उन्हीं से थी!
    भरी जेब ने ‘दुनिया’ की पहचान करायी
    और खाली जेब ने ‘अपनों’ की।
    जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
    शौक तो माँ-बाप के पैसों से पूरे होते थे,
    अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पूरी होती हैं।
    हँसने की इच्छा न हो…
    तो भी हँसना पड़ता है…
    कोई जब पूछे कैसे हो…
    तो ‘मजे में हूँ’ कहना पड़ता है…
    ये ज़िन्दगी का रंगमंच है साहब….
    यहाँ हर रोज नाटक करना पड़ता है…
    माचिस की ज़रूरत अब नहीं पड़ती…
    यहाँ आदमी आदमी से जलता है…
    साइंटिस्ट ढूँढ रहे हैं
    मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं,
    पर आदमी नहीं ढूँढ रहा कि
    जीवन में मंगल है या नहीं।
    – गौरव मिश्रा
    Shagun

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