वर्ना..
तुमने अपनी शक्ल
आईने में देख ली है
अपनी असलियत
ठीक से पहचान ली है
तो अब उतरो मैदान में
आखिर तुम किसके दम पर
ये घोषणा करते फिरते हो कि
तुम आओगे तो
फ्री बिजली, फ्री राशन दोगे
फ्री हज यात्रा करवाओगे
ये सब किसके दम पर बोलते हो कि
ये करोगे..वो करोगे..
ये देश की टैक्स भरने वाली जनता का धन है
तुम्हारे बाप का नहीं
असल बाप की औलाद होगे तो
तुम अपने दम पर जो कर सकते हो,
उसकी घोषणा करो-
मसलन, तुम आओगे तो
पेंशन नहीं लोगे
फ्री रेल-हवाई यात्रा नहीं करोगे
हराम के तमाम भत्ते नहीं लोगे
तुम जनसेवक हो
देश की जनता को एक निगाह से देखोगे
इसलिए शिक्षा-नौकरी में बरसों पुरानी
रिजर्वेशन की गुलामी से देश को आजाद कराओगे
तुम अपने लिये इतनी बेहयाई नहीं करोगे कि
देश की जनता के सामने शर्मिंदा हो
इसलिए यह तय करोगे कि
जेल में रहोगे तो चुनाव नहीं लड़ोगे
गुंडे-मवाली होगे तो राजनीति में नहीं आओगे
कम से कम बीए पास होगे
अंगूठाछाप नहीं होगे
.. अगर ऐसा कर पाए तो
जनता के सिर- आंखों पर
वर्ना……
- आनंद अभिषेक