गंगा दशहरा पर विशेष 1 June 2020:
आज मैं अपने लेख की शुरुआत यहाँ से करना चाहता हूँ कि आखिर गंगा स्नान क्या है? इसका महत्व क्या है और इसकी शुरुआत कब से कियूं हुई जैसी बातें आइये जानते हैं । देखिये हमारे ही हिन्दू धर्मालंबियों के गंगा का विशेष महत्व है वैसे तो हम हिंदुओं की धर्मिक संस्कृति के ग्रंथों के मतानुसार इस दुनिया के प्राणी जगत में जल की एक विशेष भूमिका होती है क्योंकि बिना जल के जीवन की कल्पना करना ही बहुत कठिन है। और ऐसे में विशेषतः गंगा जल की महत्ता प्रचुर है क्योंकि हमारा देश भारत नदी,नालों, झरनों एवं ताल पोखरों जैसे जलाशयों के लिए विश्व विख्यात तो है ही इसके साथ ही भरतीय मानव संस्क्रती का उथान से लेकर विकास की सम्पूर्ण आधार जलाशय एवं जल स्रोत के निकट ही विकसित हुई है इसलिए भी जल हमारे सम्पूर्ण ब्रह्मांड की प्राणशक्ति ही है और प्रत्येक प्राणी इसपर आश्रित है।
बिना गंगा जल के जीवन की कल्पना
वैसे तो जल का एक स्थान से उद्गम हो कर जगत सभी स्थानों से गुजरते हुये एक स्थान पर जा कर समाप्त बल्कि यूं कहें समाहित हो जाना उसकी संस्कृति है लेकिन हमारे धरती पर बहने बाले तमामों जल स्रोतों में से गंगा जल और गंगा नदी का विशेष महत्व है क्योंकि यह गंगा हिमालय के उन कन्दरों से अनिको तरह की खनिज पदार्थों के अतिरिक्त इसकी स्वछता एवं निर्मलता अन्य जल से पृथक कर इसे उच्चकोटी की बनाती है इसलिए हमारे धर्म ग्रन्थों में गंगा जल से स्नान करने का विशेष महत्व होता है।
जैसा लोक मान्यताओं में प्रचलित है कि गंगा में अपने से ही पाप धोइए इसका अर्थ यह है कि गंगा जल ही मात्र ऐसा जल है जिससे नहाने से हम मनुष्यों के शरीर उतपन्न होने वाले विभिन्न रोगों का नाश करने वाला होता है, और एक विशेष दिन पर इसके जल से स्नान करने पर शरीर के नाना प्रकार के व्याधियां समाप्त हो जाय करती है। इस विशेष दिन को हम हिन्दू धर्मालंबियों के मध्य गंगा स्नान का विशेष महत्व है। – प्रस्तुति: जी के चक्रवर्ती