राहत के बढे आसार: पहली बार उद्योग प्रतिनिधि भी उपभोक्ता परिषद के साथ उपभोक्ता परिषद ने निगम में रिक्त पदों को भरे जाने सहित बिजली कम्पनियों में भ्रष्टचार के लिये आपरेशन क्लीन चलाने की उठायी मांग प्रबन्धन का किया समर्थन
लखनऊ, 21 जून, 2021: उत्तर प्रदेश की बिजली कम्पनियों की तरफ से दाखिल एआरआर वर्ष 2021-22 व स्लैब परिवर्तन सहित रेग्यूलेटरी सरचार्ज बढाने के लिये दाखिल प्रस्ताव पर आज ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बडी संवैधानिक राज्य सलाहकार समिति की विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन एवं सदस्यगण की उपस्थित में वीडियों कान्फे्रसिंग के माध्यम से बैठक सम्पन्न हुयी।
नियामक आयोग व सलाहकार समिति के चेयरमैन श्री आर पी सिंह द्वारा सभी एजेन्डा बिन्दुओं पर समिति के सदस्यों के बीच प्रस्तुतीकरण किया गया इसके बाद बिन्दुवार हर एजेंडा पर सभी सदस्यों ने अपनी राय रखी। नियामक आयोग अध्यक्ष द्वारा सर्वप्रथम बिजली कम्पनियों द्वारा दाखिल एआरआर ट्रू-अप के आकडों पर प्रकाश डालते हुये विस्तार से एक प्रस्तुतीकरण की स्लाइड दिखाते हुये सबकी राय मांगी गयी इसके बाद स्लैब परिवर्तन व बिजली कम्पनियों द्वारा निकाले गये रेग्यूलेटरी असेट लगभग 49827 करोड पर प्रस्तुतीकरण भी किया गया। तत्पश्चात नोयडा पावर कम्पनी, पावर ट्रांसमीशन कम्पनी के एआरआर पर भी प्रकाश डाला गया। आयोग चेयरमैन ने सभी पक्षों की बात सुनने के बाद कहा विद्युत नियामक आयोग अब आगे सभी पहलुओं पर विचार विमर्श करने के बाद बिजली दर को अंतिम रूप देगा और अपना फैसला जल्द सुनायेगा।
उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं की तरफ से उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने पावर कारपोरेशन के एआरआर पर सवाल उठाते हुये कहा कि बिजली कम्पनियों के ऊपर उपभोक्ताओं का लगभग 19537 करोड रू0 निकल रहा है इसलिये बिजली दरों में कमी करने के लिये उपभोक्ता परिषद के कोविड राहत टैरिफ प्रस्ताव को लागू कराया जाये ओर उसके संबंध में अनेकों विधिक तथ्य रखा और आगे कहा वितरण हानियाॅं 16.64 प्रतिशत प्रस्तावित करना गलत है क्योंकि 11.08 बिजनेस प्लान में पहले से अनुमोदित है। सब मिलाकर गैप को बढाने के लिये ऐसा किया जा रहा है।
राज्य सेक्टर के उत्पादन गृह से पहले रू0 3.60 प्रति यूनिट औसत में बिजली खरीद हो रही थी अब रू0 4.10 प्रति यूनिट यानि 50 पैसा प्रति यूनिट अधिक पूरी तरह गलत है। इसी प्रकार निजी घरानों से भी मंहगी बिजली खारिज करने योग्य है।
इस मसले पर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने स्लैब परिवर्तन पर अनेकों विधिक सवाल उठाते हुये कहा जब तक रेट शेडयूल के साथ स्लैब परिवर्तन न दाखिल हो उसे खारिज किया जाना चाहिये। जिस पर पावर कारपोरेशन को छोडकर समिति के दूसरे सदस्यों सीआईआई वेस्टर्न रीजन के चेयरमैन श्री सी पी गुप्ता, डी जी आफ स्कूल मैनेजमेंट के डा भरत राज सिंह ने भी उपभोक्ता परिषद की बात का समर्थन किया। सी पी गुप्ता द्वारा उद्योंगों की दरों में कमी करने का भी सुझाव देते हुये ओपेन एक्सेस का भी मुददा उठाया गया। सभी सदस्यों ने स्लैब परिवर्तन को खारिज करने की मांग करते हुये कहा जब तक रेट शेडयूल के आधार पर आम जनता के बीच में व्यापक चर्चा न करा ली जाये उसे लागू करना उचित न होगा। इसलिये स्लैब परिवर्तन खारिज होना जरूरी है।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने रेग्यूलेटरी असेट के मुददे पर बिजली कम्पनियों पर सवाल उठाते हुये कहा भारत सरकार, उप्र सरकार व पावर कारपोरेशन के बीच उदय का अनुबंध हुआ और अब 6 साल बाद शासन के एक पत्र का हवाला देते हुये रेग्यूलेटरी असेट का गलत आंकलन किया जाना पूरी तरह फोरजरी की श्रेणी में आता है। ऐसे में आयोग को सख्त कदम उठाना चाहियेे।