अचानक जिन्दगी में कभी एक अन्जान सा शखस आता है जो दोस्त भी नही, हमसफ़र भी नही, फिर भी दिल को बहुत, बहुत भाता है, ढेरो बाते होती है उस से, हज़ारों दुख सुख भी बंटते हैं, जो बाते किसी से नहीं करते थे एवो भी हम उस से करते हैं, है तो वो अनजाना सा एपर दिल को बहुत वोए जाना पहचाना सा लगता है, कोई रिश्ता नहीं है उससे एफिर भी उसकी हर बात मानने का दिल करता है, कोई हक नहीं है उसका हमपर एफिर भी उसका हक जताना, हमको अच्छा लगता है, जब कुछ भी सुनने का मन ना हो तब भी, उसको सुनना अच्छा लगता है,
अजीब बात है एकोई रिश्ता नहीं है उससे एफिर भी वो, अपनो से भी ज्यादा अपना लगता है, जिन्दगी है बहुत उदास सी एबस झमेले ही झमेले हैं, शायद खो ही देते हम खुद को एपर अब उसके कारन एजीने का दिल करता है, ऐसे ही बिना किसी बात पे एबस यूँ ही हंसने का दिल करता है, कोई नहीं हमारी चाहत एकि हम रिश्ता कोई बनाये उससे, ना कोई है उसकी ख्वाहिश है कि वो किसी बन्धन में बँध जाये हमसे, फिर भी साथ एक दुजे का एमन को बहुत भाता है, कभी कभी सोचता हूँ, शायद इस को रूह का रिश्ता कहते हैं, जैसे पिछले जन्म का छूटा साथ कोई, इस जन्म में रूह का साथी बनके मिलता है, अजीब सा रिश्ता है, जिसे कोई नाम देने का दिल नहीं करता है, पर वो मेरी ज़िन्दगी में एक अहम जगह रखता है, ऐसे लगता है जैसे कुछ पवित्र सा हैए प्यारा सा है, मेरे दिल का एक कोना जैसे, उस ही की मुकददस् सी खुशबू से महका करता है,