वैसे तो देश के कई राज्यों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ कई तरह के अपराध बढ़ते जा रहे हैं लेकिन कुछ राज्यों में ये अधिकता से पाए जा रहे हैं। अभी राजस्थान के भीलवाड़ा में एक बच्ची की हत्या ने यही साबित किया है कि राज्य में यह स्थिति गंभीर होती जा रही है। इससे यह बात भी साबित होती है कि राज्य में अपराधियों के भीतर कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है।
एक रिपोर्ट बताती है कि राजस्थान में दस वर्ष से कम आयु की बच्चियों से बलात्कार की घटनाओं में लगभग तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ज्यादातर ऐसे मामलों में मुख्य आरोपी पीड़िता के परिचित ही होते हैं। लेकिन इन घटनाओं पर जहां पुलिस को जहां सक्रिय होकर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए वहीं इस मामले को लेकर सभी में चुप्पी दिखाई देती है।
यही रवैया मुख्य कारण है जो अपराधियों को अपनी मनमानी करने के लिए बेखौफ बनाता है। साथ ही इस तरह की घटनाएं समाज की मानसिकता पर भी सवाल उठाती हैं। कुछ लोगों के भीतर ऐसी कुंठा और मानसिक विकृति पलती रहती है जो उन्हें अपना शिकार बनाती है और वे मासूमों तक की हत्या या उनके खिलाफ यौन हिंसा करने से नहीं हिचकते। पेशेवर अपराधियों से निपटना पुलिस की इच्छाशक्ति और उसके कामकाज के तरीके पर निर्भर है पर यौन हिंसा में शामिल कुछ लोग ऐसे भी हैं जो प्रकृति से अपराधी नहीं हैं।
यह तथ्य भी सरकार और समाज को चिंतित करने वाला है। ऐसे में सरकार का उत्तरदायित्व कानून-व्यवस्था का प्रभाव बनाए रखने का होना चाहिए ताकि अपराधियों के भीतर खौफ कायम किया जा सके। साथ ही अपराधों की जड़ पर भी प्रभावी तरीके से प्रहार करने की आवश्यकता है।