जी के चक्रवर्ती
कांग्रेस के नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा अभी हाल ही में दिए गए कश्मीर में लागू अनुछेद 370 पर एक विवादित बयान को लेकर देश मे चौतरफा उनकी आलोचना हो रही है। एक तरफ जहां सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने दिग्विजय सिंह के बयान की भर्त्सना की है, तो वहीं दूसरी तरफ शहीदों के परिजनों ने भी दिग्विजय सिंह के बयान से बहुत आहत हैं। उन्होंने काश्मीर मे धारा अनुच्छेद 370 पर दिए गए बयान को राजनीति से प्रेरित बताया तो वहीं दिग्विजय सिंह का इस तरह की राजनीति करना राष्ट्र विरोधी ही कहलायेगी , साथ ही क्या दिग्विजय सिंह पाकिस्तानी परस्त भारतीय नेता है जिन्हें भारत से भी अधिक पाकिस्तानी हित की अधिक चिंता रहती है।
अभी पिछले ही दिनों क्लब हाउस चैन के दौरान जर्मनी के एक पत्रकार द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में दिग्विजय सिंह ने कहा था कि कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, हमें इस मसले पर फिर से विचार करना चाहिये, तो फिर यहां यह प्रश्न उठना लाजमी है कि आखिर 370 को हटाने के लिए वह कौनसी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिये था जबकि इस समय देश के केंद्र में एक बहुमत प्राप्त सरकार सत्तासीन है ऊपर से भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में चुनाव जीतने पर कश्मीर में अनुछेद 370 को हटाये जाने का उल्लेख किया गया था तो क्या जनता से किये गए उस वादे का क्या होगा?
वहीं एक केंद्रीय मंत्री द्वरा यह कहा गया है कि इस तरह का बयान पार्टी में हताशा का ही परिचायक है। दरअसल कांग्रेस किसी भी कीमत पर सत्ता में वापस लौटने के लिए चट पटा रही है तो क्या इसके लिए कांग्रेस पार्टी देश की अखंडता असिमता पर ही चोट करने की राजनीति करेगी? इस तरह तो कांग्रेस अपनी ही छवि को और भी अधिक धूमिल करेगी। दरअसल कांग्रेस पार्टी एक लंम्बे समय से दिशाहीनता की शिकार तो है ही साथ ही उसके प्रत्येक नेता अंदर ही अंदर पार्टी अध्यक्ष पद को हासिल करने की इच्छा रखता है जोकि फिलहाल संभव नही है।
- लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं