वैसे तो हिन्दू धर्म संम्पदाओं मे गंगा का विशेष महत्व है गंगा के महिमा मंडन करते हुऐ अनेको आरती से लेकर पूजा पाठ करने और अपने पूर्वजों की आत्म शांति के लिए गंगा जल से जलाभिषेक कर पिंड दान करने की परिपाटी आज भी हमारे देश में प्रचलित हैं, लेकिन आज देश लॉकडाउन के दौर से गुजरते हुये वैश्विक महामारी से जूझ रहा है और देश लॉकडाउन के पांचवे चरण के दौर से गुजारने का मंथन चल रहा है ऐसे में भारतवासी गंगा दशहरा के शुभ अवसर पर लगने वाले मेले में सम्मिलित होते हुये अपने कोरोना से उपजे विषाक्त कीटाणुओं को कैसे धोये। लेकिन एक गौर करने लायक बात यह है इस समय देश के कल- कल कारखानों के बन्द होने की दशा में गंगा प्रदूषण मुक्त हो कर स्वछ निर्मल धारा प्रवाहित करती हुई हम इंसानो के दूषित मन को भी खूब नहला रही है।
देखा जाये तो हिन्दू धर्म में गंगा का विशेष महत्व है गंगा के महिमा मंडन करते हुऐ अनेको आरती से लेकर पूजा पाठ की विधियां प्रचलित है। गंगा की धवल स्वच्छ शीतल जलधारा में इस वख्त स्नान करने का आनंद कुछ और ही है।
हिंदुओं के अनेको धर्म कर्म कांडो में गंगा और उसके जल का महत्वपूर्ण भूमिका सदैव से हमारे देश मे पूर्व काल से ही रही है आज उसी गंगा जल के स्रोतों का दुरुपयोग हम बहुत बड़े पैमाने में कर रहे हैं जिससे इसके जल की वह गुणवत्ता भले अब न रही हो लेकिन गंगा मैली हो जाने के बावजूद आज वर्तमान समय मे भी उसकी उपयोगिता अक्षुण बनी हुई है। आज गंगा एवं उसकी जल की गुणवत्ता को बनाये रखने की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा आज के दौर में है।
एक समय ऐसा भी हुआ करता था जब बिना गंगा स्नान किये बगैर किसी भी तरह के धर्मिक अनुष्ठान में आप सम्मिलित नही हो सकते थे। भारतीय लोक जीवन के अनेको अनुष्ठानों में आज भी अधूरी मानी जाती है। बिना गंगा जल के धर्मिक अनुष्ठान सम्पूर्ण हो ही नही सकती इसलिये हमारे हिन्दू धर्मालंबियों के मध्य गंगा स्नान ही महता बहुत बड़ी है। – प्रस्तुति: जी के चक्रवर्ती