डॉ दिलीप अग्निहोत्री
यूपीए सरकार के दस वर्षों के दौरान रक्षा तैयारियों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। जबकि रक्षा विशेषज्ञ व सैन्य कमांडर इसकी आवश्यकता बता रहे थे। नरेंद्र मोदी सरकार ने शुरुआत में ही विशेषज्ञ सुझाव की गंभीरता से लिया। इसके दृष्टिगत दो मोर्चों पर कार्य प्रारंभ किया गया। पहला यह कि राफेल सहित अनेक रक्षा समझौतों पर अमल सुनिश्चित किया गया। दूसरा यह कि रक्षा सामग्री के उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की रणनीति बनाई गई। इन दोनों मोर्चों पर उल्लेखनीय प्रगति हुई है। भारत अब रक्षा उत्पादों का निर्यात भी करने लगा है।
इस क्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया कि अगले कुछ वर्षों में भारत की नौसेना दुनिया की टॉप तीन नौसेनाओं में शुमार होगी। रक्षा मंत्री कोच्चि में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड सीएसएल में देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत विक्रांत की प्रगति समीक्षा की। इसके पहले उन्होंने कर्नाटक के कारवार नेवल बेस और कोच्चि में नौसेना की तैयारियां,नेवी के नए और अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का अवलोकन किया। कारवार में नौसेना के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत किये जा रहे विकास कार्यों को देखा।
उन्होंने कहा कि नौसेना देश के पचहत्तर सौ किलोमीटर से अधिक समुद्री तटों, लगभग तेरह सौ द्वीपों और 2.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर के आर्थिक क्षेत्र के माध्यम से दुनिया के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। स्वदेशी विमानवाहक पोत के विकास में देश तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। वर्तमान परिस्थिति में हिन्द महासागर का महत्त्व लगातार बढ़ता जा रहा है। दुनिया का आधा कंटेनर व्यापार और एक तिहाई बल्क कार्गो ट्रैफिक इस क्षेत्र से होकर गुजरता है। हिन्द महासागर का नाम अपने देश से जुड़ा है। इस प्रकार का यह एकमात्र महासागर है।
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