गुरुवार को हुयी जोरदार बारिश ने लोगों को दहला दिया, उधर मौसम विभाग ने भी इस वर्ष अच्छी बारिश के आसार जताए हैं। गुरुवार को बारिश के साथ आकाशीय बिजली गरजी। जो कड़कड़ा के हिमालय की वादियों में बसे हिमाचल के कुल्लू के बिजली महादेव मंदिर में गरजते हुए गुरुवार को शाम 7 बजे के करीब गिरी, लेकिन किसी को कोई नुक्सान नहीं पहुंचा। इस आकाशीय बिजली गिरने कि जानकारी पुनीत शर्मा ने एक युवा ने अपने ट्विटर हैंडल से शेयर की इसके साथ ही उन्होंने एक वीडियो भी शेयर किया जिसमे बिजली मंदिर पर गरज -चमक के साथ तेजी से गिरी।
मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि ‘बिजली महादेव मंदिर’ में अर्थात महादेव के इस मंदिर पर हर 12 साल में आकाशीय बिजली गिरती है लेकिन हर बार की तरह इस बार भी कोई नुकसान नहीं हुआ है।
बता दें कि यह मंदिर हिमाचल के कुल्लू में स्थित है। महादेव के इस अनोखे मंदिर का नाम ‘बिजली महादेव मंदिर’ है। शिवजी का यह अनोखा मंदिर ब्यास और पार्वती नदी के संगम के पास ही एक पहाड़ पर बना हुआ है। कहा जाता है की यहां आकाशीय बिजली गिरने की वजह से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है। लेकिन मंदिर के पुजारी जब शिवलिंग को मक्खन से जोड़ते हैं, तो यह फिर से अपने पुराने रूप में आ जाता है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गांव के लोगों का कहना है की यहां बिजली गिरने से जानमाल का नुकसान होता है। लेकिन भगवान शिव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनकी कृपा दष्टि से बिजली के आघात को वे सहन कर लेते हैं।
यह कथा है प्रचलित :
पौराणिक मान्यता के अनुसार मंदिर यहाँ ऐसी मान्यता है की प्राचीन समय में एक कुलांत नामक दैत्य ने इस जगह का अपना निवास बना लिया था वह एक विशाल अजगर का रूप लेकर मंदी घोग्घरधार से होकर लाहौर स्पीती से मथाण गाँव तक आ गया था। अजगर रुपी दैत्य इस जगह को पानी में डुबोना चाहता था जिस कारण से उसने व्यास नदी के प्रवाह को रोक दिया। जिससे वहां निवास करने वाले सभी जीव पानी में डूबकर मर जाएँ। दैत्य कुलंत की इस मंशा को जानकर भगवानशिव ने अपने त्रिशूल से उसका अजगर रुपी दैत्य कुलांत का वध कर दिया। कुलांत की मृत्यु के तुरंत बाद उसका विशाल बॉडी एक विशाल पर्वत में परिवर्तित हो गया। ऐसा माना जाता है की कुलांत के नाम से ही इस शहर का नाम कुल्लू पड़ा।
शिवलिंग पर गिराते हैं भगवान इंद्र बिजली:
भगवान शिव के त्रिशूल से राक्षस का वध करने के बाद कुलांत राक्षस का बड़ा शरीर पहाड़ बन गया। इसके बाद शिवजी ने इंद्र को आदेशित किया कि हर 12 साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराएं। मान्यता है कि तभी से यह सिलसिला जारी है। यहां के लोग मंदिर पर बिजली गिरते देखते हैं. जिसमें शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है, लेकिन पुजारियों के इसे मक्खन से जोड़ते ही ये फिर पुराने रूप में आ जाता है।