सब कुछ हवा में हिट होता जा रहा है, अमिताभ बच्चन की पुरानी फिल्म- ‘ हम आज़ाद हैं’ की तरह जिसमें मीडिया एक काल्पनिक किरदार को हकीकत बता कर देशभर में एक ज्वलंत चर्चा पैदा कर देती है।
नवेद शिकोह
लखनऊ, 19 नवंबर 2018: कोई अपनी हवा बना ले तो उसके बड़े-बड़े दुश्मन हवा हो जाते हैं। जिसकी हवा चल जाये वो इन हवाओं में ऊंचाइयों पर पंहुच जाता है। हवा बनाना आसान है। बस इसका हुनर आना चाहिए है। जिनमें कोई सच्चाई ना हो वो हवाई बातें कहलाती हैं। और ऐसी ही हवाई बातें हवा बनाती हैं।
खासकर सियासत हवा का खूब इस्तेमाल करती है। हवा ही सियासत की बुलंदियों पर ले जाती है। जो अपनी हवा बनाने में कामयाब हो जाये उसे ही कहते हैं कि इनकी हवा यानी बयार बह रही है।
वसीम रिजवी नाम के एक शख्स ने बहुत कुशलता से सियासत में अपनी हवा बना ली है।
लेकिन सच ये है कि वसीम की बातें हवा – हवाई हैं। हवा के अस्तित्व को महसूस करते रहिये, दिखेगा कुछ नहीं। माइंड सैट आपको तसव्वुर में आकार पैदा करता रहेगा।
हवा बनाने का सबसे बड़ा हथियार मीडिया है। मीडिया बिकाऊ होती है इसलिए मीडिया में बने रहना खूब पैसे वालों के बस में था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। फ्री की सोशल मीडिया की गुलाम हो गयी है प्रोफेशनल मीडिया।आप के पास थोड़ी बहुत भी पद प्रतिष्ठा हो और वक्त- मौके पर सोशल मीडिया पर शुगूफे छोड़ने का हुनर है तो आप कामयाब हो जायेंगे। सोशल मीडिया और फिर मीडिया में आपका नाम और बयान बिकने लगेगा।
वसीम रिजवी ने यही किया। वो अपनी कौम और ओहदे (वक्फ बोर्ड के चेयरमैन) के मिजाज के खिलाफ आग उगलने लगे। लगा जैसे उन्हें कट्टर हिन्दूवादी ताकतों ने खरीद लिया है। उनके इशारे पर वो काम कर रहे हैं। खरीदा नहीं भी था पर उनके बयान भाजपा सरकारों और संघ के लिए फायदेमंद साबित हो रहे थे इसलिए कौम की ही वसीम विरोधी बड़ी ताकतें वसीम रिजवी का बाल बाका नहीं कर सकीं।
मौलाना की लाख कोशिशों और प्रमाणों के बावजूद भी सरकार ने वसीम का सरकारी पद नहीं छीना। शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया। क्योंकि वसीम सियासत के मंच पर बिना मेकअप आर्टिस्ट के.. बिना निदेशक के.. बिना राइटर के.. बिना सैट डिजाइन के.. बिना कॉस्ट्यूम डिजाइन के.. बिना स्पेशल लाइट्स के… इतनी अच्छी परफार्मेंस दे रहे थे कि लगा कि पूरी टीम ने इस प्रस्तुति को तैयार किया है। इतने अच्छे आर्टिस्ट की इतनी अच्छी परफार्मेंस जो भाजपा की हवा को हवा दे रही थी उस परफार्मेंस को कमजोर करने के लिए सरकार इस नाटक पर पर्दा क्यों गिरा देती। विरोधी मौलाना ने प्रमाण दिये की वसीम रिजवी भ्रष्टाचारी हैं.. ये आजम खान के सबसे करीबी है। आजम खान के साथ मिल कर इन्होंने करोड़ों के अवकाफ लूटे हैं। बावजूद इसके भाजपा सरकार या संघ ने प्रत्यक्ष रूप से इनका साथ नहीं दिया। हां इतना जरूर किया कि इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। क्योंकि सियासी रोटियां सकने वाली भट्टी को हवा देने का काम ये बखूबी कर रहे हैं।
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन की आगामी फिल्म – ‘राम जन्मभूमि ‘की हवा तेज हुई। लगा कि अयोध्या मुद्दे को गरमाने के लिए बड़ी सियासी ताकतों ने इस फिल्म को फाइनेंस किया होगा।
मैं फिल्म के बजट की तहकीकात में लगा तो पता चला कि इस फिल्म में मामूली बजट भी नहीं लगा। क्योंकि इस फिल्म का निर्माण एक प्रोफेशनल फिल्म की तरह हुआ ही नहीं है। ना ये फीचर फिल्म के फार्मेट में फिट है और ना ही ये पर्दे तक आ सकती है।
बहुत ही छोटी और कम बजट की फुल लेंथ (दो से ढाई घंटे की) फिल्म भी कम से कम चालीस-पचास लाख रूपये में तैयार होती है। लेकिन फिल्म अयोध्या चंद नान प्रोफेशनल्स के साथ सात-आठ लाख के बजट की नाम-मात्र की फिल्म है। शूटिंग के बाद ये किस लैब में जायेगी। एडिटिंग, मिक्सिंग.. साउंड.. म्युजिक का काम कहां होगा। किसने इसे फाइनेंस किया.. कौन डिस्ट्रीब्यूटर इसे लेंगे। कौन एक्जीबीटर इसे अपना पर्दा देंगे !!!! सब हवा मे हैं। बस हवा ये बनानी है कि बाबरी मस्जिद के खिलाफ और राम मंदिर के पक्ष में भाजपा/आर एस एस ने कौम के बागी वसीम रिजवी से एक फिल्म बनवायी है। इस हवा में इस फिल्म के खिलाफ खूब हल्ला हो। विरोध प्रदर्शन हों और मंदिर – मस्जिद की राजनीति गरमाये।
अयोध्या के विवादित ढ़ांचे का मामला अदालत में है इसलिए इसपर फिल्म पर रोक लगे। इस तर्क पर कोई कोर्ट चला जाये। मीडिया और सोशल मीडिया में इसकी चर्चा हो। न्यूज चैनल्स में डिबेट हो। और फिर किसी की याचिका पर फिल्म पर न्यायालय प्रतिबंध लगा दे।
और यदि वसीम रिजवी साहब की इस चाल को समझ कर मीडिया और लोग इसे विवाद की सूरत ना दें.. इन शुगूफों को नजरअंदाज कर दें तो सच ये है कि ये फिल्म खुद ही पर्दे तक का सफर तय कर ही नहीं सकती। दरअसल जैसे वसीम ने मीडिया में अपनी हवा बनाकर अपना रुतबा और पद कायम रखा है वैसे ही ये अपनी हवा हवाई अयोध्या फिल्म की चर्चाओं के जरिए इसे बिना पर्दे पर लाये इसे हिट करने का फार्मूला इस्तेमाल कर रहे हैं।