गौतम चक्रवर्ती
मंगलवार 21 जून 2022 की सुबह से देश के महाराष्ट्र में एक जबरदस्त राजनीतिक भूचाल आया जो अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है यदि इस घटनाक्रम पर नजर डालें तो ऐसा आभास होने लगता है की सम्पूर्ण घटना क्रम कहीं न कहीं पूर्व नियोजित है।
दरअसल महाराष्ट्र में अब उद्धव ठाकरे सरकार पर संकट के बादल छाने लगे हैं तो एसे में लोगों की जुबान पर यह है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर चल रही उद्धव ठाकरे अपनी सरकार को बचा पायेगी या फिर गिर जाएगी? यदि हम ठाकरे सरकार गिरने की बात करें तो शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे अपने करीबी 30 समर्थक विधायकों को लेकर अचानक सूरत जा धमके और फिर रातों रात ही असम के लिए भी उड़ गए। सुबह सुबह उन्होंने स्वयं के गुवाहाटी में 40 विधायको के साथ यहां मौजूद होने का दावा करते हैं तो दूसरी तरफ उद्धव और शरद पवार आज अपनी सरकार बचाने की कोशिशें कर रहे हैं तो इसके मध्य, बीजेपी और शिंदे के बीच नए समीकरण पर वार्तालाप होने जैसी अटकलों पर लोगों के मन में तरह – तरह की कयासें भी लगाई जाने लगी हैं। लोगों के दिलो दिमाग में यह प्रश्न उठने लगें हैं कि महाराष्ट्र में अब क्या होगा?
इस समय यदि हम गुजरात की सम्पूर्ण राजनीति घटना क्रम का आंकलन करें तो यह स्पष्ट में नजर आता है कि यहां शुरू हुए राजनीतिक दंगल में कोई भी दल किसी अन्य दल से किसी भी तरह से कम नहीं है। गुजरात में आज बीजेपी एक बार फिर से सत्ता में आने के लिए बहुत लालायित नजर आ रही है। इसी सिलसिले में शिवसेना के दिग्गज नेता एकनाथ शिंदे का अचानक से अपने साथ 34 विधायको की एक बड़े समूह को अपने साथ लेकर सूरत पहुंचना अपने आपमें अनेकों प्रश्नो को जन्म देती है।
आज जो स्थिति महाराष्ट्र में पैदा हुई है उसमे यदि शिवसेना और बीजेपी आपसी दूरियों को खत्म करने के लिए आगे बढ़ते हैं तो यह स्थिति कमोवेश उनके लिए इतना सहज नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि एक समय आपस में मित्र रहे यह दोनों पार्टियां आपस में ही राजनीतिक दांवपेच से अपने आप को उलझा लेने के बाद महाराष्ट्र की सत्ता हासिल करने के लिए वे एक दूसरे के ऊपर कीचड़ उछालने में भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। जैसे कि राजनीति में सब कुछ जायज होता है तो एसे में कब क्या हो जाए कुछ भी नहीं कहा जा सकता है, लेकिन किसी भी राज्य की सरकार को गिराने और उसे सत्ता से बेदखल करने के लिए किसी भी पार्टी द्वारा गुप्त मीटिंग करना अपने आप में संशय उत्पन्न करने वाली ही बात है और जिससे यह स्थिति और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
वडोदरा में भाजपा के साथ मध्य रात्रि में आखिरकार शिंदे के साथ मीटिंग करने की आवश्यकता क्यों पड़ी? आखिरकार इस तरह की कवायत से क्या ऐसा नहीं लगता है कि जैसे देश में इमरजेंसी चल रही हो और इससे दूसरा प्रश्न यही उठता है कि एसी कौन सी मजबूरी थी ? दरअसल इस मीटिंग का आयोजन एसे मध्य रात्रि में करने का अभिप्राय यही था कि इस समय मीडिया कर्मी के लोगों को भनक नहीं लगेगी और देश की जनता भी रात में सोए रहेगी एसे में इस तरह की कार्यों की भनक किसी को नही होगी एसे में किसी के नजरों में आए बिना ही इस कार्य को अंजाम देना सुगम होगा।
एनसीपी चीफ शरद पवार ने महाराष्ट्र सरकार को लेकर चल रहे सियासी संकट पर बयान देते हुए कहा है कि यह विपक्ष की महज एक साजिश है। पवार ने कहा कि बीते ढाई वर्षों में सरकार गिराने की विपक्ष द्वारा यह तीसरी कोशिश है। इसका महाराष्ट्र सरकार पर कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। मुझे आशा है कि उद्धव ठाकरे जल्दी ही इसका कोई न कोई हल अवश्य निकाल लेंगे। पवार ने तो यहां तक कह दिया है कि आगे भी उद्धव के नेतृत्व में सरकार ऐसे ही चलती रहेगी। पवार का यह कहना कि यह शिवसेना का आंतरिक मामला है। इसे आपसी सूझबूझ से शिवसेना स्वयं ही सुलझा लेगी, इस तरह की वक्तव्यों से तो यही आभास होता है कि कहीं न कहीं यह भी पहले से नियोजित योजना का ही एक हिस्सा है। खैर आगे आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति के खिलाड़ीयों की क्या योजना है और क्या गुल खिलाते हैं? यह तो आने वाला भविष्य ही तय करेगा।