यह खबर पशु-पंक्षी प्रेमियों के लिए बेहद बुरी हो सकती है, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मदुरई के पास अलगरकोविल रोड मराथनकुलम में हैवानों ने 40 से ऊपर राष्ट्रीय पक्षी मोरों को जहर देकर मार डाला। ये घटना 5 अगस्त के आस पास की बताई जाती है हालाँकि यह हैवानियत का कोई ऐसा पहला मामला नहीं है इससे पहले भी यूपी के बहराइच के अलावा कई अन्य जंगल से सटे इलाकों में इसी तरह की कई घटनाये हो चुकी है जिसमें क्रूर शिकारी दानों में पहले से ही जहर मिला देते हैं जिसको खाने के बाद बड़े पैमाने पर मोरों की मौत हो जाती हैं और वह इन्हे बेच कर बड़ा फ़ायदा उठाते हैं हालाँकि पुलिस ने इस तरह घटनाओं में शिकारियों को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया।
आखिर कौन लेगा ज़िम्मेदारी ?
क्या श्रीकृष्ण के जन्मदिन पर मोरपंख लगाना इतना आवश्यक हो गया कि हमने सम्पूर्ण स्रष्टि को स्वयं में आत्मसात करनेवाले अपने कान्हा को प्रिय न जाने कितने ही निरीह बेजुबानों की हत्या करवा दी, जी हाँ हम माने य़ा ना माने परंतु दोषी हम सब हैं, बाजारों में प्रत्येक दुकान पर मोर पंख देखकर मन अकुलित हुआ जा रहा था कि आखिर इतने अधिक पंख आते खान दे हैं?
समझा जा सकता है क्या किया गया होगा?
मानसिक दिवालियापन के शिकार हैं हम सब और इन्सानियत तो अब बची ही नहीं है हममे..
बाज़ारीकरण के दौर ने हमे इस हद तक संवेदनहीन बना दिया है,किसी भी पशु य़ा पक्षी को हानि पहुँचाना तो हम इंसानों के बायें हाथ का खेल है..जब हमने ताकतवर बाघों को मार -मार कर बाजार में बेच दिया, तो मोर जैसे पंछी क्या है।
कहते हैं कि जहाँ एक ओर पशु -पंक्षी प्रेमी इन सुंदर पक्षियों को मारने नहीं देते.. और इसका संरक्षण कर इस पंक्षियों की पूजा करते हैं, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण यह पंख पहनते हैं… कुछ लोगों ने गुस्सा जाहिर करते हुए लिखा कि जो समाज सुधारक हमें उपदेश देते हैं वह इन्हे बचाने के लिए क्या कर रहे हैं ?
लेकिन सवाल यह उठता हैं कि आज मानवता क्या इतनी गिर गयी हैं कि उसे किसी प्रकृति के पशु- पंक्षी या जीव जंतु को मारने में भी ज़रा भी लज्जा नहीं आती?
जब सोशल मीडिया पर इन तस्वीरों को देखकर लोगों का खून खौल उठा: लोग बोलें-
इस देश में कोई कानून व्यवस्था है कि नहीं? पर्यावरण से जुड़े सरकारी लोग क्या कर रहे हैं??