डॉ दिलीप अग्निहोत्री
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल विश्वविद्यालयों को शिक्षा के साथ ही सामाजिक सरोकार लिए निर्देशित करती रही है। वस्तुतः उच्च शिक्षण संस्थान जब समाज सेवा धर्म के निर्वाह करते है तो उसका दोहरा लाभ होता है। एक तो उनकी सेवा से जरूरतमन्दों को राहत मिलती है, दूसरा यह कि विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ ही समाज के प्रति अपने दायित्व की प्रेरणा मिलती है। वह विश्वविद्यालय से निकलते है तब उनके पास केवल डिग्री नहीं होती, बल्कि इसके साथ समाज सेवा का जज्बा भी होता है। वह जीवकोपार्जन के लिए चाहे जिस क्षेत्र में जाएं, उनके मन में स्वार्थ या निजहित की चिंता नहीं होनी चाहिए। उन्हें समाज व राष्ट्र के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी का ज्ञान होना चाहिए।
अनाथ बच्चों की सहायता
कोरोना आपदा में अनेक मासूम बच्चों के सिर से माता पिता की छत्र छाया छीन गई। राज्य सरकार ने उनके पालन पोषण की योजना लागू की है। आनन्दी बेन चाहती है कि इसमें विश्वविद्यालय भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करें। भरण पोषण के साथ ही ऐसे बच्चों को स्नेह व पारिवारिक माहौल भी मिलना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि कोविड के कारण तमाम बच्चे अनाथ हो गये हैं। विश्वविद्यालय ऐसे बच्चों को गोद लेने का काम करे। उनकी समुचित देखभाल की व्यवस्था भी करें ताकि उन बच्चों को भी पारिवारिक माहौल मिल सके। इसके अलावा राज्यपाल ने विद्यार्थियों की सुविधा पर भी ध्यान दिया। कहा कि किसी भी विद्यार्थी को अपनी डिग्री प्राप्त करने के लिये विश्वविद्यालय के चक्कर न लगाना पड़े। उनकी डिग्रियां समयबद्ध उनके पते पर तत्काल प्रेषित कर दी जाये। दीक्षांत समारोह के बाद समस्त डिग्री भेजी जानी चाहिए। ये कार्य सम्बद्ध महाविद्यालय भी समयबद्ध तरीके से करें।
महिला विकास केंद्रों का दायित्व
आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय में स्थापित महिला विकास केंद्र ग्रामीण महिलाओं को जागरूक करने का कार्य करें। वर्तमान मे ग्राम पंचायत चुनाव में तैतीस प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं, ग्राम प्रधान निर्वाचित हुईं है। इनमें से अधिकांश महिलायें स्वयं सहायता समूहों से है विश्वविद्यालय सेमिनार एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर नव निर्वाचित ग्राम प्रधानों को सरकार द्वारा संचालित लाभार्थीपरक योजनाओं की जानकारी दें साथ ही समाज में फैली विभिन्न सामाजिक कुरीतियों से भी अवगत करायें ताकि वे अपनी ग्राम सभा में ग्रामीण महिलाओं को योजनाओं का लाभ दे सकें साथ ही विभिन्न सामाजिक कुरीतियों खासकर दहेज प्रथा बेटा बेटी में भेद आदि से उन्हें बचने की सीख दे सकें। विश्वविद्यालय अपनी छात्राओं को नारी निकेतन चिकित्सालयों आदि का भ्रमण कराये ताकि वे वहां के अनुभव को जान सके और भविष्य में विभिन्न बुराइयों से दूर रह सकें।
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