जी के चक्रवर्ती
दशहरा का पर्व हम भारत के लोग केवल एक प्रतीक के तौर पर ही नही मनाते चले आ रहे हैं बल्कि एक सामाजिक सौहार्द के लिए भी हैं। दशहरा पर्व केवल हमारे भारत मे ही नही बल्कि सम्पूर्ण विश्व मे जहां -जहां भी भारत के लोग रहते हैं, वहां प्रति वर्ष बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है।
हमारे देश के इन 6 राज्यों में दशहरा जिस तरह से मनाया जाता है वह देश के अन्य जगहों से पृथक तरीकों से मनाये जाने के कारण प्रसिद्ध है जिसमे सबसे पहले नम्बर पर बस्तर जिले का नाम आता है, जो भारत के छत्तीसगढ़ प्रदेश के दक्षिण दिशा में स्थित एक जिला है।
इस जिले में दशहरे को मुख्यतः राम की रावण पर विजय पाने को ना मानकर, लोग इसे मां दंतेश्वरी की आराधना करने के लिए समर्पित एक पर्व के रूप में मानते हैं। दंतेश्वरी माता बस्तर जिले के निवासियों की आराध्य देवी हैं, जिसे मां दुर्गा जी का ही दूसरा रूप हैं। यहां यह पर्व पूरे 75 दिनों तक चलता है।
देश के छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले के दण्डकरण्य में भगवान राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के दौरान रहे हैं। इसी जगह के जगदलपुर में मां दंतेश्वरी मंदिर स्थापित है, जहां पर प्रति वर्ष दशहरे पर्व पर इस वन क्षेत्र के हजारों आदिवासी उपस्थित हो कर बड़े ही धूमधाम से इस त्यौहार को मनाते हैं। बस्तर के लोगों द्वारा इस पर्व को विगत 600 सालों से मनाते आ रहे हैं।
अयोध्या की ऐतिहासिक रामलीला:
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के गठन के बाद अयोध्या की ऐतिहासिक नगरी अब विषय के पटल पर है लोग अब यहाँ देश विदेश से आते हैं और भगवान् राम के अपरोक्ष आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं। यहाँ की रामलीला अब ऐतिहासिक वर्णन करती है बॉलीवुड के कलाकार इसमें अपने खूबसूरत अभिनय से मन मोह कर इसे जीवंत कर देते है सरयू के तट पर दिन भर यहाँ मेला लगा रहता है। जिसमे बड़ी से बड़ी राजनैतिक हस्तिया शिरकत करती है।
लखनऊ के ऐशबाग की पुरानी रामलीला :
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ऐशबाग की रामलीला लगभग 144 साल पुरानी है बताया जाता है कि यहाँ पहले इस स्थान पर साधु संतों का समागम होता था और यहाँ से ज्ञान का प्रचार प्रसार होता था जिसमे कुछ वरिष्ठ साधु संतों ने इस रामलीला की परम्परा की नीव रखी इसके बाद धीरे धीरे इस मंचन का समय के साथ परिवर्तन होता गया। माना जाता है की कई रूपों में ढलने के बाद आज यह डिज़िटल का रूप ले चुकी है जिसमें साउंड इफेक्ट और बैकग्राउंड टेक्नोलॉजी के साथ कलाकारों का अभिनय इस रामलीला में चार चाँद लगा देता है। जिसे देखने के लिए बहुत लोग दूर दूर से आते हैँ।
मैसूर
कर्नाटक प्रदेश के मैसूर जिले में दशहरे के पर्व को यहां के प्रादेशिक त्यौहार के रूप में मनाते है। मैसूर का दशहरा भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां का दशहरा देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं, लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण यहां के दशहरे मेले पर रोक लगाई गई है।
इस राज्य में मनाई जाने वाली दशहरा पर्व का मेला नवरात्रि से ही प्रारंभ हो जाता है। मैसूर जिले में दशहरा का सबसे पहला मेला वर्ष1610 में आयोजित किया गया था। मैसूर का नाम महिषासुर राक्षस के नाम पर रखा गया है। दशहरे के दिन मैसूर महल को बहुत खूसूरत तरीके से सजाया जाता है और फिर गायन वादन के साथ एक शोभायात्रा भी निकाली जाती है।
कोटा
देश के राजस्थान प्रदेश के कोटा जिले मे दशहरे का पर्व के उपलक्ष्य में लगने वाला मेला लगातार 25 दिनों तक चलता रहता है। इस मेले की शुरुआत आज से 125 वर्ष पूर्व महाराज भीमसिंह द्वितीय द्वारा शुरू किया गया था और आज तक इस परम्परा को निभाया जाता है। दशहरे के दिन यहां रावण, मेघनाद एवं कुंभकरण के पुतले का दहन कर भजन कीर्तन के साथ ही कई प्रकार की सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं का भी आयोजन किया जाता है इसलिए यह मेला देशभर में प्रसिद्ध है।
कुल्लू
हिमाचल प्रदेश में कुल्लू जिले में मनाए जाने वाला यह दशहरा सम्पूर्ण विश्वभर में प्रसिद्ध है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में मनाये जाने वाला दशहरे को अंतरराष्ट्रीय त्यौहार घोषित कर दिया गया है। यहां पर लोग बड़ी संख्या में उपस्थित होते हैं। फिलहाल देश मे कोरोना महामारी को देखते हुये इस पर रोक लगाई गई है। यहां दशहरे का त्यौहार 17वीं शताब्दी से मनाया प्रारम्भ हुआ था। यहां पर लोग अलग-अलग भगवानों की मूर्ति को सिर पर रखकर भगवान राम से मिलने आते हैं। यहां इस उत्सव को लगातार 7 दिन तक मनाते है।