भारतीय कला पर पश्चिमी प्रभाव की बात जब आती है तो इसका ज्ञात इतिहास 16 वीं सदी का मिलता है। जब 1580 ई में अकबर के दरबार में पहले जीससवादी मिशन का आगमन होता है। इस अवसर पर मिशन द्वारा सम्राट अकबर को प्लांटिन के रॉयल पॉलीगोट बाइबिल की एक प्रति भेंट की गयी।
कहा जाता है कि बाइबिल प्राप्ति के पश्चात् अकबर ने “उस बाईबल को अपने हाथों में सम्मान सहित उठाया और सार्वजनिक रूप से चूमा और उसके बाद फिर अपने सिर से लगाया।” समझा जाता है कि इसी बाइबिल कि चित्रण शैली का प्रभाव उनके दरबारी कलाकारों ने ग्रहण कर, अपने चित्रों में भारतीय मुग़ल शैली और पश्चिमी यूरोपियन शैली का समावेश किया।
1598 का बना एक ‘ मदर एंड चाइल्ड विद ए वाइट कैट’ शीर्षक चित्र आज मेट म्यूजियम के संग्रह में संग्रहित है। इस चित्र के चित्रकार को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, कुछ लोग इसे मनोहर की कृति मानते हैं वहीँ कुछ अन्य का मानना है कि यह मनोहर के पिता यानी बसावन की कृति है। इस चित्र में मैडोना का वस्त्र विन्यास यूरोपियन बीजान्टिन शैली का है।
- सुमन सिंह