घाटियों, पहाड़ियों, झरनों, हरियाली, झीलों का सुखद अहसास देता है यहाँ का लोनावाला और खंडाला
महाराष्ट्र का खूबसूरत हिल स्टेशन है ‘लोनावाला’। मुंबई और पुणे का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले लोनावाला को महाराष्ट्र का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। इसे सहाद्रि पहाड़ियों के मणि के नाम से भी जाना जाता है। यह समुद्र तल से 625 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
बारिश का लुत्फ लेने के लिए लोनावाला भी बेस्ट जगह है। इसके साथ ही यहां पर घूमने की भी कई जगहें हैं, जिससे आप बारिश के साथ घूमने का भी लुत्फ ले सकती हैं। लोनावाला और इसके आसपास का क्षेत्र दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में महत्वपर्ण बौद्ध केंद्र था।
समुद्र तल से 1050 मीटर ऊंचा बना यह ऐतिहासिक लोहागढ़ किला खुद में कई कहानियां समेटे हुए है. सैकड़ों साल पुराने बने इस किले के दरवाजे आज भी उतने ही मजबूत और खूबसूरत हैं। कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी इस किले का इस्तेमाल करते थे. इसी वजह से इसका नाम लोहागढ़ किला पड़ा. सैलानियों के अलावा जियोलॉजिस्ट्स भी रिसर्च के लिए यहां आते रहते हैं।
इस क्षेत्र में अभी भी कई प्राचीन बौद्ध मंदिर हैं। इन मंदिरों का निर्माण पत्थरों को काट कर किया गया था। छत्रपति शिवाजी ने इस क्षेत्र पर शासन किया था।
बता दें कि मुंबई प्रेसीडेंसी के गवर्नर सर एल्फिंस्टन द्वारा 1871 में खोजा गया ‘लोनावाला’ बहुत ही खूबसूरत है इसकी घाटियां, पहाड़ियों, झरनों, हरियाली, झीलों और एक खास सुखद अहसास देता है।
सह्याद्रि पर्वत के आभूषण के रूप में लोकप्रिय लोनावाला का नाम संस्कृत शब्द ‘लोनावली’ से लिया गया है जिसका अर्थ है ‘गुफाओं से घिरा शहर’। मुंबई और पुणे का एक लोकप्रिय प्रवेश द्वार, लोनावाला (मुंबई से दक्षिण पूर्व में 110 किमी और पुणे से 64 किमी) स्थित है, जो पर्यटकों के लिए सबसे सुविधाजनक आधार है, भजा और कार्ला की प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध रॉक कट गुफाओं के साथ, जो कि पास में स्थित है।
खंडाला, लोनावाला से अपेक्षाकृत छोटा और शांत है। इसे सह्याद्री पर्वत का गौरव माना जाता है। हरे भरे वातावरण के बीच खूबसूरत झरना वास्तव में देखने में शानदार है। यह स्थान थके हुए पर्यटकों को तरोताजा कर देता है। तुगौली, लोनावाला, भुशी और वालवन झील इस हिल स्टेशन की महत्वपूर्ण झीलें हैं।