योगी सरकार चुनाव से पहले मॉनिटरिंग सेंटर बना रही
सावधान ! सोशल मीडिया पर इंटेलिजेंस की नज़र है आपकी सोशल मीडिया पर एक गलती आपको जेल पहुंचा सकती है। संभावना जताई जा रही है चुनाव के ऐन मौके पर माहौल को खराब करने के लिए तमाम तरह की अफवाहें फैलेंगी। ऐसे में चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर नियंत्रण के लिए सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इंटेलिजेंस मुख्यालय में सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेंटर बनने जा रहा है। शासन ने इसके लिए हरी झंडी दे दी है। अब इंटेलिजेंस विभाग सोशल मीडिया प्लेटफार्म के हर मैसेज और पोस्ट की निगरानी करेगी। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि शासन ने सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेंटर की स्थापना को मंजूरी दे दी है। इसके लिए न्यूज एक्सट्रेक्टर सॉफ्टवेयर और डाटाबेस्ड एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर की स्थापना की जाएगी।
इस काम का पूरा मैनेजमेंट संभालने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्मार्ट गवर्नमेंट (हृदस्त्र) को जिम्मेदारी दी गई है। यह भारत सरकार की तरफ से बनाई गई एक संस्था है, जो केंद्र सरकार और प्रदेश सरकारों के कई विभागों में स्मार्ट गवर्नमेंट में सहयोग करती है। इसकी स्थापना प्रशासनिक सुधार विभाग की सिफारिश के पर इलेक्ट्रानिक्स व आईटी मंत्रालय, भारत सरकार ने 2002 में कंपनी अधिनियम के तहत की थी। व्यवस्था में सुधार के लिए सुझाव देगी संस्था अवनीश अवस्थी ने बताया कि सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल से सोशल मीडिया पर फैलने वाले अफवाहों को समय से रोका जा सकेगा। जरूरत पड़ी तो कार्रवाई भी होगी। जिससे कानून व्यवस्था में सुधार आएगा।
रिपोर्ट्स के अनुसार पुलिस के पूर्व डीजीपी एके जैन का कहना है कि कई प्रदेश में इंटेलिजेंस विभाग के पास खुद का सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल है। कानून व्यवस्था को सुधारने की दिशा में प्रदेश सरकार का यह बड़ा कदम है। वैसे तो पुलिस सोशल मीडिया की निगरानी करती रहती है, लेकिन हर तरह की गतिविधियों पर नजर रखने और सूचनाएं रखने वाला खुफिया विभाग अपने नजरिए से मॉनिटरिंग करेगा तो काफी हद तक अपराध नियंत्रित होगा।इसी साल 14 जून को गाजियाबाद पुलिस ने लोनी इलाके में अब्दुल समद नाम के एक बुजुर्ग के साथ मारपीट और अभद्रता किए जाने का वीडियो वायरल होने के बाद ट्विटर समेत 9 पर एफआईआर दर्ज की थी।
इन सभी पर घटना को गलत तरीके से सांप्रदायिक रंग देने की वजह से यह एक्शन लिया गया था।पुलिस के मुताबिक, इस मामले की सच्चाई कुछ और ही थी। पीड़ित बुजुर्ग ने आरोपी को कुछ ताबीज दिए थे, जिनके परिणाम न मिलने पर नाराज आरोपी ने इस घटना को अंजाम दिया, लेकिन ट्विटर ने इस वीडियो को मैनिपुलेटेड मीडिया का टैग नहीं दिया। पुलिस ने यह भी बताया कि पीड़ित ने अपनी स्नदक्रमें जय श्री राम के नारे लगवाने और दाढ़ी काटने की बात दर्ज नहीं कराई थी।