international yoga day 21 June Special: अंतराष्ट्रीय योग दिवस जन कल्याण
हम आप मे से अधिकतर लोगों को शायद यह नही पता होगा कि योग और योगासनों के जन्मदाता कौन थे ? वैसे योग के आसनों को लेकर बहुत सारे विवाद हैं, लेकिन हमारे धर्म शात्रों के अनुसार हिन्दू परम्परा में योग भारतीय वैदिक परम्पराओं से जुड़े ऋषि मुनियों एवं योगियों में महर्षि पतंजलि को ही योग विद्या के जन्मदाता के रूप में जाना पहचाना जाता हैं। भारत मे प्राचीनकाल से ही साधु-संतों एवं योगियों के मठों में योगिक क्रियाओं को विधिवत कराये जाने की परम्परा रही है। हिन्दू धर्मालंबियों के मध्य ऐसी मान्यता है कि देव आदिदेव भगवान शिव ही परम योगी हुये हैं इसलिये उनको योगेश्वर नाम से भी पुकारा जाता है। भगवान शिव ने अपने सात शिष्यों को योग में पारंगत कर संपूर्ण पृथ्वी पर प्रचार प्रसार का कार्य सौंपा था।
शिव पुराण की ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने योग की पहली शिक्षा अपनी पत्नी देवी पार्वती को दिया था, तदउपरांत दूसरी शिक्षा में उन्होंने पृथ्वीलोक के केदारनाथ में इस्थित कांति सरोवर के तट पर अपने सात शिष्यों को दिया जिन्हें ही सप्तऋषि कहा जाता है उनके द्वारा योग के अलग-अलग आयाम बताए गये हैं और ये सभी आयाम योग शास्त्र में सात मूल स्वरूप में स्थापित हो गए। आज वर्तमान समय तक योग के ये सात विशिष्ट स्वरूप मौजूद हैं। इन सप्त ऋषियों को विश्व की अलग-अलग दिशाओं में भेज कर योग और उसकी शिक्षा लोगों को देकर मानव समाज का कल्याण का कार्य किया। ऐसी मान्यता है कि आस्था और अंधविश्वास से अलग हट कर योग एक शारीरिक विज्ञान है जो कि प्रायोगिक सिद्धान्त पर आधारित है। योग इंसानी जीवन जीने की एक कला है। योग एक पूर्ण शारीरिक चिकित्सा पद्धति है। वास्तव में धर्म लोगों को एक खूंटे से बांधता है वहीं पर योग सभी तरह के बंधनो से मुक्ति का मार्ग प्रसस्त करता है।
यदि हम ओशो की बात करें तो उनके द्वारा ‘योग दि अल्फा एंड दि ओमेगा’ नाम के शीर्षक से एक पुस्तक अंग्रेजी में लिखा गया है यदि हम उसमे लिखे प्रवचनों को पढ़े तो बहुत ही अद्भुत तरह की अनुभूति होती है। उपरोक्त पुस्तक में उन्होंने एक जगह लिखा है कि जैसे संसार के विज्ञान की दुनिया में आइंस्टीन नाम के वैज्ञानिक सर्वोपरि है, ठीक उसी तरह शारीरिक विज्ञान की दुनिया के ऋषि पतंजली हैं। जैसा की पर्वतों में हिमालय श्रेष्ठ है, वैसे ही समस्त प्रकार के व्यवस्थाओं में योग सर्वश्रेष्ठ एवं सवोत्तम है।
पतंजलि के योग सूत्र के कुछ प्रमुख भाष्य में से – व्यासजी का व्यास भाष्य इसके बाद में एक ग्रंथ लिखा गया जिसे हठ योग प्रदीपिका कहा जाता है। योग सूत् के पश्चात सबसे प्रचलित ग्रंथ यही है। इसके रचयिता गुरु गोरखनाथ के शिष्य परंपरा के शिष्य स्वामी स्वात्माराम थे। गुरु गोरखनाथ 10वीं सदी में विद्यमान थे। प्रदीपिका के चारो अध्याय में आसनों, प्राणायाम, चक्र, कुण्डलिनी, बंध, क्रिया, शक्ति, नाड़ी, मुद्रा आदि विषयों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इन अध्यायों को उपदेश के रूप में कहा गया हैं, जैसे प्रथमोपदेश आदि। इस ग्रंथ की प्राप्त सबसे प्राचीन पांडुलिपि 15वीं शदी की है।
27 सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिये गये एक भाषण में हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने की अपील किया। इसके उपरांत अमेरिका ने 123 सदस्यों की बैठक में अंतराराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव पास कर दिया था। तब से सम्पूर्ण विश्व मे 21 जून के दिन योग दिवस के रूप में मनाये जाने लगा।
- प्रस्तुति: जी के चक्रवर्ती
4 Comments
What’s up friends, its impressive article regarding educationand completely defined, keep it up all the time.
I know this web page presents quality based articles or
reviews and other material, is there any other web site which provides these
kinds of stuff in quality?
Do you have a spam issue on this blog; I also am a blogger, and I was curious about your situation; many of us have developed some nice practices and we are looking to swap techniques with other folks, why not shoot me
an email if interested.
Hi there to all, how is everything, I think every one
is getting more from this site, and your views are fastidious designed for
new users.