कृषि विभाग के द्वारा खुदरा उद्देश्य विक्रेताओं को टॉल फ्री नं० पर किसानों के द्वारा शिकायत करने के उपरांत बिना जांच के ही प्राथमिकी दर्ज करने एवं भारत सरकार के द्वारा दिए जा रहे मार्जिन के संबंध एग्री इनपुट डीलर एसोसिएट के चेयरमैन पंकज सिंह चौहान की ओर से सरकार को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि सरकार के जीरो टॉलरेंस नीति और किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए निस्वार्थ भाव से बिना मुनाफा ही तत्कालिक उर्वरक उपलब्ध कराकर सेवा दे रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि बड़े दुःख के साथ कहना है कि कृषि विभाग के राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय जांच दल के द्वारा किसी किसान आपसी दुश्मनी साधने हेतु कृषि विभाग के टॉल फ्री नंबर पर फोन करने पर विक्रेता पर बिना अनुसंधान किए ही प्राथमिकी दर्ज किया जाता है, जो न्यायोचित नहीं है।
पत्र के माध्यम से संघ ने बताया है कि बहुत परिश्रम के बाद बेरोजगार को रोजगार प्राप्त होता है, परन्तु अब लगता है कि पुन: हमलोग बेरोजगार हो जाएंगे। वर्तमान में खुदरा उर्वरक विक्रेताओं एवं थोक उर्वरक विक्रेताओं को मिलाकर भारत सरकार द्वारा 354/- (तीन सौ चौवन रुपये प्रति मेट्रीक टन यानी 1593 (पंद्रह रूपया तिरानवे पैसा) प्रति 45 किलो यूरिया उर्वरक बोरी पर मार्जिन दी जाती है, जो खुदरा उर्वरक विक्रेता एक थोक उर्वरक विक्रेताओं में कैसे विभक्त हो यह प्रदर्शित नहीं है। इस कारण थोक उर्वरक विक्रेताओं द्वारा रु. 258 से 260 (दो सौ अनठावन से दो सौ साठ रूपये) प्रतिः 45 किलो यूरिया उर्वरक बोरी की दर से खुदरा उर्वरक विक्रेताओं के बिन्दु तक पहुँचा कर दिया जाता है। 266.50 (दो सौ छियासठ रुपये पचास पैसे) प्रति 45 किलो यूरिया उर्वरक बोरी का मूल्य भारत सरकार द्वारा निर्धारित है।
गौरतलब है कि रु 6 से 8 (छ: से आठ) रूपया मार्जिन दिखता है, परन्तु यह पलदारी खर्च में ही चला जाता है। जिस कारण बैंक का ब्याज एवं प्रतिष्ठान का विभिन्न खर्च उपर से पारिवारिक बहन, यह सभी पहलू हम व्यापारी को कर्ज में डूबाने के लिए बाध्य कर रहा है। किसी भी खुदरा उर्वरक विक्रेता पर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले जाँच करने का आदेश दिया जाए ताकि निर्दोष फंसे नहीं एवं दोषी बच्चे नहीं साथ ही संबंधित विभाग एवं भारत सरकार से हमलोगों के उर्वरक विक्रय में आय मार्जिन ब6ढ़ाने हेतु अपने स्तर से प्रयास करने का कष्ट करें ताकि हम विक्रेताओं के हित की पूर्ति हो सके। अगर हमारी बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो बाध्य होकर हमलोग धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे।