गरीब के सब्जी तौलने का बाँट और तराजू जब पुलिस ने रेलवे पटरी पर फेंका और उसे उठाने गए सब्जी विक्रेता के जब ट्रेन से पैर कट गए तो कुछ नहीं हुआ और जब ट्रेन के अंदर सरिया उछलकर घुस जाने से व्यक्ति के गले के आर पार हो गयी तो उसकी जान की कीमत मात्र पंद्रह हज़ार लगायी गयी, यहाँ तक मृतक के भाई ने रेलवे को जवाब दिया कि पचास हज़ार हमसे ले लो, तो भी बात उतनी नहीं फैली जितनी होनी चाहिए थी, कहने का मतलब यह है कि यहाँ रोज आये दिन कितनी लोगों कि मौत हो जाती हैं तो कुछ नहीं लेकिन जब एक चूहा मरा तो वह जे का जंजाल बन गया।
तो अब आप हो जाइये सावधान, यदि आप कोई, क्रूरता भरे तरीके से अपने घर दूकान के चूहे को मार रहे हैं तो ऐसा करने से पहले सौ बार सोचिए। क्योंकि ऐसा करना आपको मुसीबत में डाल सकता है उत्तर प्रदेश के बदायूं में एक चूहे को नाले में डुबो कर मारना एक व्यक्ति के लिए जी का जंजाल बन गया उसके खिलाफ एक पशु प्रेमी ने न सिर्फ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया वरन पुलिस ने गिरफ्तार कर हवालात में डाल दिया। हालांकि अब चूहे की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट ने सारा मामला ही उलट पुलट दिया है क्योंकि इस में बताया गया है कि चूहे का लिवर व लंग्स आदि खराब थे।
मामला 25 नवंबर का है चूहे को में डुबोकर मारने के मामले में रविवार को बदायूं कोतवाली पुलिस ने आरोपी मनोज के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। चूहे को मारने का यह अजीबोगरीब मामला शुक्रवार को सामने आया थाए जिसके बाद मृत चूहे का भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली आईवीआरआई में पोस्टमार्टम कराया गया।
बदायूं के पशु प्रेमी और भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के मानद पशु कल्याण अधिकारी विकेंद्र शर्मा ने गुरुवार को बदायूं के नबड़िया बिजली उपकेंद्र के पास एक मनोज नाम के व्यक्ति को चूहे की पूंछ में धागे से पत्थर बांधने के बाद उसे नाले में डुबो डुबोकर मारते हुआ देखा था। यूपी के बदायूं में चूहे की हत्या का केस देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। चूहे को क्रूरता के साथ मारने को लेकर शिकायतकर्ता विकेंद्र शर्मा की ओर से बदायूं कोतवाली में पशु क्रूरता अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज कराने को तहरीर दी गई थी जिसके बाद कोतवाली पुलिस ने मनोज को हिरासत में लेकर पूछताछ के बाद छोड़ दिया और मृत चूहे के शव को पोस्टमार्टम के लिए आईवीआरआई बरेली भेजा गया शनिवार को आईवीआरआई बरेली में वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार ने चूहे के शव का पोस्टमार्टम किया।
चूहा हत्याकांड के इस अनूठे मामले में आरोपी और उसके खिलाफकेस करने वाले पशु प्रेमी ने चूहे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद अपने अपने तर्क दिए हैं। चूहे की हत्या के आरोपी मनोज का परिवार भी उसके साथ खड़ा है। परिवार का कहना है कि उसके बेटे को सजा हुई तो उन सब पर भी कार्यवाही होनी चाहिए जो मुर्गा बकरा मछली काट कर बेचते हैं। चूहा मार दवा खुलेआम दुकानों पर बेचने वालों पर भी एक्शन होना चाहिए। इसके बाद पशु प्रेमी थाने पहुंचे और आरोपी के खिलाफ एफआईआर लिखवा दी। इसके बाद जिले में चूहे के पोस्टमार्टम की सुविधा न होने पर उसके शव को बरेली में आईवीआरआई तक एसी कार से ले जाया गया ताकि चूहे की लाश को डीकमपोज होने से बचाया जा सके। अब इसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई हैए जिसमें कहा गया है कि चूहे का लीवर और फेफड़े पहले से खराब थे।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चूहे की मौत नाली के पानी में डूबने से नहीं हुई है। उसकी मौत दम घुटने की वजह से हुई मालूम पड़ता है। वह पहले से कई बीमारियों से ग्रस्त था । लिहाजा उसका बच पाना मुश्किल था मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया थाए लेकिन बाद में थाने से ही जमानत दे दी थी। चूहे की हत्या के मामले में वन विभाग के डीएफओ अशोक कुमार सिंह का कहना है कि चूहे को वन विभाग अधिनियम में 5 के तहत वार्मिंग श्रेणी में रखा गया है इसको मारने पर कोई अपराध नहीं बनता है मगर पशु क्रूरता अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई है इसलिए इसको गलत भी नहीं ठहराया जा सकता है।
उधर इस मामले में पशु प्रेमी विकेंद्र शर्मा भी खुल कर सामने आ गए हैं उनका कहना है कि चूहा चार पैर और एक पूछ वाला चौपया जीव है। हमने चूहे को मारने के लिए एफआईआर नहीं कराई है बल्कि उसके साथ क्रूरता करने पर एफआईआर कराई है। जिन जानवरों को काट कर बेचा जाता है उनकी पहले ब्रेन सेंसेटिव नस काट कर मौत दी जाती है। उनके मरने के बाद शरीर के टुकड़े किए जाते हैं इसके लिए अलग से कानून है और इसकी लाइसेंसिंग प्रक्रिया है। हम लंबे समय से पशु सेवा में लगे हैं जब पशु क्रूरता अधिनियम बनाया गया है तो उसका पालन भी होना चाहिए।
यह मामला बदायूं की सदर कोतवाली का है। यहां के पनवाड़ी चौक में रहने वाले मनोज ने 25 नवंबर को एक चूहे को नालें में डूबाकर रखा था साथ ही चूहे को पत्थर से बांध दिया था। उधर से गुजर रहे पशु प्रेमी विकेंद्र शर्मा ने चूहे को बचाने का प्रयास कियाए लेकिन चूहा मर गया था। इंस्पेक्टर हरपाल सिंह बालियान ने बताया कि आरोपी मनोज के खिलाफधारा 429 किसी जानवर पशु को अपाहिज करना या वध करना के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है
चूहे का शनिवार को बरेली के आईवीआरआई में पोस्टमार्टम हुआ है। अब अधिकारी चूहे की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट पर वैधानिक जानकारी ले रहे हैं कि आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की जाए या नहीं यहां बता दें कि चूहे चीजों को कुतर कुतर कर नुकसान पहुंचा रहे हैं साथ ही बीमारियां फैलाने में भी भूमिका निभा रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 240 करोड़ से ज्यादा चूहे हैं ये चूहे देश के 40 करोड़ लोगों के भूख मिटाने लायक अनाज खा जाते हैं। इसके अलावा ये चूहे 25 लाख टन से अधिक अनाज को खराब भी कर देते हैं दुनिया में ये चूहे सिर्फ अनाज ही खराब नहीं करते हैं बल्कि बीमारी फैलाने में भी भूमिका निभाते हैं।
बेशकीमती कपड़ों को काट देनेए घरों में खुदाई करके गड्ढा बना देने और खेत में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाने का काम भी ये चूहे करते हैं। चूहों के जीवन उनकी जनसंख्या और पहुंचाने वाले नुकसान पर फोकस करते हुए पानसे कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि चूहे देश के विभिन्न राज्यों में 25 लाख टन से अधिक अनाज को खराब कर देते हैं। अनाजों के अलावा ये अन्य चीजों का भी नुकसान पहुंचाते हैं। चूहे केवल तरह तरह की बीमारी फैलाकर ही हमें भारी हानि नहीं पहुंचाते हैं बल्कि वे सालाना इतने अनाज का नुकसान करते हैं जिससे करोड़ों लोगों का पेट भरा जा सकता है। राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार चूहे देश में खेतों में खड़ी फसलों को 5.15 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचाते हैं। पानसे कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार भंडारण में लगभग 205 प्रतिशत नुकसान चूहों के कारण होता है। चूहे रोजाना अपने शरीर के वजन का लगभग आठ से 15 प्रतिशत खाद्यान खा जाते हैं। चूहों से कृषि को होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान जोधपुर के तहत अखिल भारतीय रोडेंट नियंत्रण अनुसंधान की परियोजना चल रही है। इसमें चूहों ने निपटने के लिए वैज्ञानिक किसानों को प्रशिक्षण दे रहे हैं।
रोडेंट नियंत्रण नेटवर्क से जुड़े शोध के अनुसार एक जोड़ा चूा एक साल में लगभग 800 से 1200 तक चूहों को जन्म देता है। जन्म लेने वाले चूहे 100 फीसदी जिंदा नहीं रह पाते हैं। मगर 80 फीसदी जिंदा रह जाते हैं। वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार चूहे सालाना 19 अरब डॉलर का नुकसान करते हैं यह सभी आक्रामक जीवों की वजह से होने वाले नुकसान 120 अरब डॉलर का छठा हिस्सा है। मुंबई में गाड़ियों में लगने वाली आग का मुख्य कारण चूहे हैं। आप किसी चूहे से 6 फीट से ज्यादा दूर नहीं हैं यह शहरी मिथक भले ही सच हो या न होए लेकिन चूहे आपसे ज्यादा दूर नहीं हैं। अब सवाल यह भी है कि किसी जानवर की ब्रेन कैंसेटिव नस काट देना क्या क्रूरता नहीं है आप ने देखा होगा कि आज कल बाजार में अनेक तरह के रैटपैड आ रहे हैं इन पैड पर पैर रखते ही चूहे चुहिया के छोटे छोटे पंजे पैड में चिपक जाते हैं और वह तड़प तड़प कर पैड पर ही मर जाते हैं।
यूं तो चूहा गणेश जी का वाहन है लेकिन दुनिया भर में चूहे के उत्पात से इंसान परेशान है और इनसे निजात पाने के लिए तरह तरह के तरीके अपनाता रहा है। बहरहाल एक चूहे के साथ की गई क्रूरता इतनी महंगी पड़ जाएगी इस का आरोपी को सपने में भी गुमान नहीं रहा होगा। देखिए आगे चूहे की मौत क्या गुल खिलाती है।
- मनोज कुमार अग्रवाल