Close Menu
Shagun News India
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Monday, May 19
    Shagun News IndiaShagun News India
    Subscribe
    • होम
    • इंडिया
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • राजस्थान
    • खेल
    • मनोरंजन
    • ब्लॉग
    • साहित्य
    • पिक्चर गैलरी
    • करियर
    • बिजनेस
    • बचपन
    • वीडियो
    Shagun News India
    Home»सिटी हलचल»NEWS

    समाज को मथने की ज़िम्मेदारी साहित्यकारों की है, इसमें विष के साथ अमृत भी निकलेगा

    ShagunBy ShagunNovember 2, 2021 NEWS No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp
    Post Views: 376

    लखनऊ, 02 नवंबर 2021: आज़ादी का अमृत महोत्सव श्रंखला के अंतर्गत हिंदी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ एवं उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित स्वतन्त्रता संग्राम और हिंदी साहित्य नामक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

    मुख्य अतिथि प्रो. अनिल कुमार शुक्ल, कुलपति महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, अजमेर ने कहा कि अमृत आसानी से नहीं निकला था, समाज को मथने की ज़िम्मेदारी साहित्यकारों की है। थोड़ा विष भी सही लेकिन अन्ततः साहित्य से अमृत ही निकलेगा। साहित्य को दरबारों की जगह जनमानस से जुड़ना होगा।

    अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो.सदानंद प्रसाद गुप्त, कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने कहा कि स्वतंत्रचेता साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से जनमानस की भाषाए साहित्य परम्परा का स्वरूप बोध विकसित किया। स्वतंत्रता संबंधी लेखन के विपुल अध्ययन और पुरानी दृष्टियों से भिन्न उनके पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है।

    उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित, सभापति भारतीय हिंदी साहित्य परिषद्, प्रयागराज ने हिंदी और उर्दू के साहित्यकारों की रचनाओं के माध्यम से स्वदेशी आंदोलन की रूपरेखा बताई। कहा कि तत्कालीन साहित्यकारों के लेखन में जागरण गीत बलिदानपंथी काव्य, तिरंगा गीत, राष्ट्रीय चरित्रों के गान तथा गांधीवादी साहित्य आदि प्रचुरता के साथ उपस्थित हैं।

    संपादक सुधीर मिश्र, नवभारत टाइम्स, लखनऊ ने कहा कि अंग्रेज़ियत से मुक्ति के लिए हमें हिंदी को विज्ञान और तकनीक से जोड़ना होगा।

    हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि यह आज़ादी का अमृत महोत्सव है और हम इसे कोटि.कोटि जन तक ले जाना चाहते हैं।

    प्रथम अकादमिक सत्र में प्रो. सुधीर प्रताप सिंह, दिल्ली ने छायावादोत्तर हिंदी कविता और स्वतंत्रता संग्राम पर बात रखते हुए कहा कि आलोचना के पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर उस समय की कविता में स्वतन्त्रता आन्दोलन के अप्रत्यक्ष बिंदुओं को भी देखने की ज़रूरत है। उन्होंने सुभद्रा कुमारी चौहान को स्त्री राष्ट्रवादी मन की कवयित्री बताया।

    प्रो. विद्योत्तमा मिश्र ने कहा कि स्वतंत्र को सुतंत्र होना चाहिए उन्होंने कहा कि कवि चौकीदार होता है वह सभी को जगाता है। प्रो. हरीश कुमार शर्मा, सिद्धार्थ नगर ने कहा कि हीनत्व भाव से जनता को उबारना उस समय के कवि के सामने बड़ी चुनौती थी जिसे उन्होंने कुशलता से निभाया।

    सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. नंद किशोर पाण्डेय, जयपुर ने स्वतंत्रता आंदोलन के चार महत्त्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख किया जिसमे स्वावलंबन, स्वाभिमान, समानता, स्वभाषा प्रमुख है। उन्होंने बताया कि स्वदेशी का सर्वप्रथम संदर्भ भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने किया।

    हरिऔध ने पहली बार दहेज समस्या पर कविता लिखी। माखनलाल चतुर्वेदी की कविता स्वधर्म स्वातंत्र्य और स्वदेश पर केन्द्रित है। उन्होंने कहा कि भारतीय मन, दर्शन और चिंतन मनुष्य की समता की बात करता है। उस समय के कवियों की आवाज़ राजनेताओं को प्रेरित कर रही थी।

    इतिहास जहां अपनी तथ्यपरकता से चूक जाता है वहीं से कथा साहित्य की यात्रा शुरू होती है:

    डॉ. नवीन कुमार मंडवाना ने विभिन्न विधाओं के साहित्य की चर्चा करते हुए कहा कि तत्कालीन रचनाकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से जनता में नई चेतना जगाने का काम किया। राष्ट्रीय भावना जन – जन तक पहुंचे इसलिए साहित्यकारों ने जनभाषा का प्रयोग किया। प्रो. सुनील कुमार द्विवेदी ने स्वतन्त्रता संग्रामकालीन हिंदी उपन्यासों के आसपास अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि इतिहास जहां अपनी तथ्यपरकता से चूक जाता है वहीं से कथा साहित्य की यात्रा शुरू होती है। जिन्हें इतिहास ने बहिष्कृत किया उन्हें केंद्र में लाने का प्रयास उपन्यास करते हैं। हमारी औपन्यासिक परंपरा का ठेठ देसी ठाट हमें बंकिम के यहां से मिलता है। आगे उन्होंने बताया कि प्रेमचंद के साहित्य में लोक की परंपरा शक्ति अर्जित करती है।

    प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि हमें साहित्य में आज़ादी की राह पर चलने वालों को पक्ष और प्रतिपक्ष में नहीं देखना चाहिए। आज़ादी के समय स्वतः स्फूर्त लेखन हुआ। उन्होंने बताया कि आज़ादी के आंदोलन का बीज शब्द है वन्दे मातरम जो कि आनन्द मठ की देन है। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों और उनकी चाल समझने में तत्कालीन नाटकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। राष्ट्रीयता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग बालकृष्ण भट्ट ने किया। स्वतन्त्र भारत के पाठ्यक्रम में आज़ादी की लड़ाई का साहित्य नहीं है, क्रांतिकारियों का साहित्य नहीं है।

    अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. हरीश अरोड़ा ने कहा कि गायब हो गए इतिहास के पन्नों को खोजकर उनसे सूत्र ग्रहण करें। विभिन्न रचनाओं के संदर्भ देकर उन्होंने बताया कैसे अंग्रेज़ लोगों का उत्पीड़न कर रहे थे और उनके लेखकों और कलाकारों के अधिकारों को सीमित कर रहे थे। उस समय के रचनाकारों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दो रूपों में स्वतंत्रता की अनुगूंज वाला साहित्य लेखन किया। भारतेंदु मंडल का प्रत्येक रचनाकार अंग्रेज़ सरकार की नीतियों की आलोचना करते है।
    सत्र का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग के प्रो. रविकांत ने किया।

    Shagun

    Keep Reading

    पाक मीडिया ने खोल दी अपने ही विदेश मंत्री को पोल, फैक्ट चेक में फर्जी निकली तस्वीर

    मंहगाई की पिच पर अच्छा खेलने कोशिश करें !

    हम तकनीक की अंधी दौड़ में बहुत कुछ खोते जा रहे हैं : प्रो.नदीम हसनैन

    Mothers Day Special : उस दिन होगा एहसास तुम्हे मेरा, जिस दिन तुम खुद माँ बन जाओगी..

    बृजनन्दन राजू को मिला साहित्य गौरव सम्मान

    लखनऊ में गायनाचार्य पं. बड़े रामदास व पं. भवानी प्रसाद को स्वरांजलि: स्वर वाहिनी संगीत समिति का भव्य आयोजन

    Add A Comment
    Leave A Reply Cancel Reply

    EMAIL SUBSCRIPTIONS

    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading
    Advertisment
    NUMBER OF VISITOR
    69690
    Visit Today : 291
    Visit Yesterday : 315
    Hits Today : 18030
    Total Hits : 4155652
    About



    ShagunNewsIndia.com is your all in one News website offering the latest happenings in UP.

    Editors: Upendra Rai & Neetu Singh

    Contact us: editshagun@gmail.com

    Facebook X (Twitter) LinkedIn WhatsApp
    Popular Posts

    मरी माता मंदिर : भारी संकटों से बचाती हैं मरी माता

    May 18, 2025

    जासूसी में यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को जेल, जानिए कितने सालों की हो सकती है सजा?

    May 18, 2025

    लोग कह रहे हैं कि उन्हें सरू की कहानी बड़ी अपनी सी लग रही है: सरू

    May 18, 2025

    विशाल मेगामार्ट में निकली बम्पर सिक्योरिटी गॉर्ड की नौकरी, मीम्स में रूस के राष्ट्रपति भी पीएम मोदी से पूँछ बैठे आपने बताया नहीं दोस्त

    May 18, 2025

    पाक मीडिया ने खोल दी अपने ही विदेश मंत्री को पोल, फैक्ट चेक में फर्जी निकली तस्वीर

    May 17, 2025

    Subscribe Newsletter

    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading
    © 2025 © ShagunNewsIndia.com | Designed & Developed by Krishna Maurya

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Newsletter
    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading