18 साल बाद आज मैंने सोचा कि अपनी बुकशेल्फ को साफ कर उसे दुरुस्त कर लूं। लिहाजा, पुरानी किताबों को उथल-पुथल किया, झाड़ा-पोंछा। अचानक एक किताब के पहले पन्ने पर एक पुरानी गर्ल-फ्रेंड का नाम और उसका मोबाइल नम्बर दर्ज मिला।
पुरानी यादें एकदम से ही उचक कर लहराने लगीं। सौंदर्य के समंदर उफनाने लगे और गेसुओं की खुशबू के चक्रवाती तूफान भड़भड़ाने लगा। दुखभरी स्मृतियों ने रेगिस्तान की तपती रेत के थप्पड़ों ने चेहरा भभक कर लाल कर दिया। आंखों की कोरें नम होने लगीं। लगा, अभी मुंह उठा कर भों-भों करके बिलख पडूंगा।
मैंने यह सोच कर कि देखते हैं कि उस का मोबाइल नम्बर अभी चालू है या नहीं, मैंने मैसेज किया :- ” hi dear ! How are you ?”
चंद पलों के बाद मेरे मोबाइल की स्क्रीन ब्लिंक करने लगी। खोला, एक मैसेज था उसी पुरानी गर्ल-फ्रेंड का। पढा। लिखा था कि, ” अंकल ! मम्मी की शादी तो बहुत पहले ही हो चुकी है। अब आप भी अपनी शादी कर लो। छटपटाने का अब कोई मतलब नहीं होगा। मेरी online class चल रही है।
Plz, don’t disturb अंकल जी।”
2 Comments
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