एक समय था जब लोग चुटकुलों और हास्य व्यंग की किताबे पढ़ने के लिए बुक स्टालों के चक्कर लगाते थे फिर धीरे -धीरे समय बदला और स्मार्ट फ़ोन का ज़माना आ गया, जहाँ सोशल मीडिया के आधुनिक दौर ने चीजें बदल कर रख दी, अब वह किताबों का दौर चल कर आपके हाथ आ गया जहां विभिन्न तरह के जोक्स और मीम्स हर पर आपके वाट्सएप्प फेसबुक ट्विटर और अन्य एप्स पर उपलब्ध हैं। आइये कुछ जोक्स और मीम्स का आनंद लें –
रूस का अगला कदम क्या होगा ये जानने के लिए पुतिन खुद भारतीय चैनल देख रहें हैं
रूस का बिल्कुल मूड नहीं था युद्ध करने का,
लेकिन भारतीय न्यूज़ चैनलों का इतना दबाव था कि इज्जत पर बन आई !
https://shagunnewsindia.com/here-an-ear-button-and-a-piece-of-wire-from-the-button-to-the-shirt-pocket/
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यूक्रेन हमले में घायल अमिताभ बच्चन_
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नौकरी की तलाश
एक बेराजगार इंजीनियर काफी दिनों से नौकरी तलाश
रहा था,
पर नौकरी उस लड़की की तरह व्यवहार कर रही थी जो
क्लास के सभी लड़को को डेट कर चुकी थी लेकिन सिर्फ
उसी से कतरा रही थी।
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उसके साथ के सारे mba, mca जॉब पर लग चुके थे लेकिन उसे
हर जगह से ठुकराया जा चुका था। माँ बाप ने भी
जेब खर्च देना बंद कर दिया था और गर्लफ्रेंड तो किसी
और से शादी कर दो बच्चों की अम्मा बन चुकी थी।
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ऐसी मुश्किल परिस्थिति में इंजिनीयर ने तय किया कि अब
जो भी काम मिले कर लूँगा कम से कम दो वक़्त की रोटी
तो नसीब होगी।
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तभी बिल्ली के भाग से छींका टूटा और उसे पता चला
कि सर्कस में एक मैनेजर की जगह खाली है।
इंजीनियर को लगा कि चाहे जो हो जाये इस नौकरी को
हाथ से जाने न दूंगा।
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उसने इंटरव्यू दिया तो देखा कि सर्कस में तो उसके जैसे
इंजीनियर्स की लाइन लगी है, वो ये देख निराश हो गया।
…
सर्कस का मालिक उसकी निराशा समझ गया, वो भला
आदमी था उसने इंजीनियर के कान में कहा कि एक नौकरी
है, करना चाहो तो दो वक़्त के खाने और 30 हजार रूपये
महीने पे दे सकता हूँ।
…
इंजीनियर इस काम के लिए ख़ुशी ख़ुशी तैयार हो गया और
एक वक़्त का भर पेट खाना खाने के बाद मालिक ने उसे
अपने कमरे में बुलाया और बन्दर🙊 की ड्रेस देकर कहा – इसे
पहन लो और किसी पेड़ की डाली में चढ़ कर बैठ जाओ, जब
लोग आये तो उन्हें तरह तरह के करतब दिखाओ,
अपनी हरकतों से उन्हें हँसाओ…
इंजीनियर ने चुपचाप बन्दर की ड्रेस पहन ली और पेड़ पर चढ़
कर लोगो का मनोरंजन करने लगा।
…
बहुत से लोग आते, उसे देखते और खुश होते। कुछ उसे केला देते
तो कुछ मूंगफलियां खिलाते। कुछ इतने कमीने होते कि उसे
पत्थर मारते, चिढ़ाते।
…
एक दिन सर्कस देखने उसी के कॉलेज के जूनियर्स का ग्रुप
आया था।
वो उन्हें देख कर बहुत खुश हो गया और सोचा कि आज
इनका खूब मनोरंजन करूँगा।
लेकिन ये नए नवेले इंजीनियर्स बहुत कमीने थे, ये बन्दर को
परेशान करने लगे।
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कोई उसकी पूँछ खींचने लगा तो कोई पत्थर मारने लगा और
इसी खींचतान में बन्दर शेर के बाड़े में गिर गया।
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बन्दर ने शेर को देखा और शेर ने बन्दर को, लोगो ने बाड़े के
बाहर से दोनों को देखा।
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बन्दर की ड्रेस गीली हो गयी और दर्शको को पसीना छूटने
लगा।
बन्दर भगवान् से प्रार्थना करने लगा, उसे लगा कि उसका
आखिरी समय आ गया है। शेर आराम से बन्दर के पास आया
और उसे सूंघने लगा, दर्शको की आँखों में आंसू आ गए।
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बन्दर ने डर के मारे आँखे बंद कर ली और हनुमान चालीसा
का पाठ करने लगा।
…
अचानक बन्दर के कानो में शेर की आवाज़ गूंजी – अबे
गुप्ता घबरा मत, मैं हूँ तेरा सीनियर, सुमित त्रिवेदी 2016
बैच… civil ब्रांच….