नई दिल्ली 04 नवम्बर। उपराज्यपाल (एलजी) को ही दिल्ली का बॉस यानी प्रशासनिक मुखिया बताने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान पक्ष रखने के लिए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने प्रसिद्ध वकील और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदम्बरम का नाम तय किया है। चिदम्बरम उन नौ वकीलों में से एक होंगे, जो पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार का पक्ष रखेंगे। चिदम्बरम ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, मुझे नहीं लगता, संविधान में एलजी को सुप्रीम शक्ति बनाया गया है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार शक्तिहीन इकाई है।
उधर, दिल्ली सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि पूर्व गृहमंत्री पी. चिदम्बरम दिल्ली सरकार बनाम केंद्र सरकार के मामले के जानकार हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या मंत्री के रूप में चिदम्बरम के कामकाज को लेकर अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक हमले मामले को कुछ अजीब नहीं बना देंगे, प्रवक्ता ने कहा, चिदम्बरम प्रोफेशनल हैं। भ्रष्टाचार-विरोधी कार्यकर्ता के रूप में केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर उस समय हमले किए थे, जब कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार सत्तारूढ़ थी। हालांकि चिदम्बरम की मदद मांगे जाने को लेकर कांग्रेस नेताओं ने केजरीवाल पर कटाक्ष भी किए हैं।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी ने एक ट्वीट में कहा, चिदम्बरम को सबसे भ्रष्ट और जनविरोधी बताने के बाद बेशर्म लोग उनकी ही सेवाएं हासिल करना चाहते हैं, लेकिन दिल्ली सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि चिदंम्बरम राजनीतिक और कानूनी लड़ाई के बीच का अंतर जानते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह का कहना है, यह बहुत अच्छी बात है कि चिदम्बरम अदालत में प्रस्तुत हो रहे हैं और ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि वह पहले भी संसदीय सचिवों की नियुक्ति जैसे संवैधानिक मामलों में केजरीवाल सरकार को सलाह दे चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई शुरू हो चुकी है। इंदिरा जयसिंह भी उन वकीलों में से एक हैं, जो दिल्ली सरकार की ओर से पक्ष रखेंगी। केजरीवाल सरकार के वकीलों में गोपाल सुब्रह्मण्यम तथा राजीव धवन भी शामिल हैं।