आमतौर पर खिचड़ी तभी खाई जाती है जब या तो डाक्टर बीमारी के दौरान सलाह दे या फिर मसालेदार भोजन कर कर के मन भर गया हो । सबसे ज्यादा एक साथ पूरे भारत के लोग मकर संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी खाते हैं जिसे खिचड़ी पर्व कहा भी जाता है। लोग यह तो शान से बताते हैं कि मैने कौन कौन से व्यंजन खाए लेकिन अगर खिचड़ी खाई है तो ज्यादातर चुप ही रहते हैं।
बचपन से लेकर आज तक महसूस किया है कि अब खिचड़ी खाने का चलन बढ़ा है और अब इसकी चर्चा भी ज्यादा होती है। बच्चों के लिए भी खिचड़ी एक पौष्टिक भोजन है और जल्द हजम तो है ही। अब तो इसे राष्ट्रीय भोजन का दर्जा मिलने जा रहा है। हो सकता है इससे खिचड़ी ग्लोबल हो जाए। एक बात बढ़िया होगी शायद कि अब आप किसी को फ़ख्र से बता सकेंगे कि आज मैने खिचड़ी खाई है। हो सकता है होटल और रेस्तरां के मेन्यू भी अब खिचड़ी ज्यादा दिखे और आफिस और स्कूल जाने वालों के टिफ़िन में भी। सभी जानते होंगे कि खिचड़ी जितना आसान है उतना ही शाही भोजन भी अगर इसे दही,पापड़,अचार,घी,दही बड़े के साथ खाया जाए । जैसे चाहें वैसे खिचड़ी खाएं। होस्टल में या अकेले रहने वाले तो बरसों से खिचड़ी बनाते आए हैं। अब कपूर साहब बनाकर इसे अंतराष्ट्रीय पटल पर पहुंचाएंगे ।