बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विवि में कोविड-19 के प्रति जागरूकता के लिए चल रही कार्यशाला का समापन
लखनऊ, 25 अक्टूबर 2021: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों, शिक्षकों और आम जनता में कोविड 19 के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं जागरूकता लाने के लिए चल रही कार्यशाला का समापन सोमवार को हो गया।
कोरोना ने सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक तौर पर भी लोगों को बना दिया कमजोर:
कार्यशाला में प्रो यू वी किरण ने विद्यार्थियों से “कोविड के दौरान मानसिक स्वास्थ्य” विषय पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे कोरोना महामारी ने पहले लोगों के स्वास्थ्य पर हमला किया और फिर न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी लोगों को कमजोर बना दिया। इससे बचने के लिए उन्होंने अपने आस-पास सकारात्मक परिवेश बढ़ाने, नकारात्मक ख़बरों और व्यक्तियों से दूरी बनाने का सुझाव दिया।
कोविड-19 का सीधा सम्बंध पर्यावरण से है:
प्रो0 नवीन कुमार अरोरा ने “कोविड-19 एंड एनवायर्नमेंटल लिंकेजेज़ ( कोविड 19 और पर्यावरणीय सम्बंध)” विषय पर व्याख्यान दिया। बताया कि कोविड-19 का सीधा सम्बंध पर्यावरण से है। आमंत्रित वक्ताओं ने विद्यार्थियों से कोविड से बचाव के साथ भविष्य में ऐसे संकटों को टालने के लिए उठाये जाने वाले आवश्यक कदमों पर भी चर्चा की। कार्यशाला विवि के कुलपति आचार्य संजय सिंह के संरक्षण में आयोजित हुई । इस पांच दिवसीय कार्यक्रम का संयोजन डॉ कुंवर सुरेंद्र बहादुर और डॉ अरविन्द सिंह द्वारा किया गया।
कार्यशाला के अंतिम दिन आज विद्यार्थियों ने प्रशिक्षण के दौरान खुद से बनाई गयी कठपुतलियों के माध्यम से कोरोना जागरूकता से सम्बंधित तीन नाटकों का मंचन किया। विद्यार्थियों ने, “ढोंगी बाबा का पोपट”, “विज्ञान और संचार मिटाएगा अंधकार ” और “मुस्का” शीर्षक पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया।
कठपुतली लोक संचार का माध्यम:
डॉ रचना गंगवार ने बताया कि कठपुतली लोक संचार का एक ऐसा माध्यम है जो आसानी से आम जन को समझ आता है, यह आम बोल चाल की भाषा में बेहद रोचक ढंग से अपना सन्देश उन जगहों और लोगों तक पहुंचाने में सक्षम है। डॉ राजश्री ने कहा कि समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करने में विज्ञान अहम भूमिका निभाता है और वैज्ञानिक तथ्य यदि कठपुतली जैसे रोचक माध्यम से आम जन तक पहुंचे तो उससे बेहतर और क्या हो सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों को स्वयं में समाज कल्याण की भावना का विकास करने का सुझाव दिया।
कार्यशाला में अपना अनुभव साझा करते हुए विभाग की शोध छात्रा प्रियंका सिंह ने कहा कि कठपुतली नाटक के लिए कठपुतली और स्क्रिप्ट तैयार करना एक नया अनुभव था और वे इससे काफी लाभान्वित हुई।कार्यशाला के अंत में शोध छात्रा ज्योत्सना ने धन्यवाद ज्ञापित किया।