लखनऊ, 10 अक्टूबर। आज़ाद वेलफेयर एण्ड एजुकेशनल सोसाइटी अंतर्गत आज़ाद थिएटर के नवांगतुक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत उर्दू ड्रामा वाल्मीकि रंगशाला गोमती नगर में हुआ।
सआदत हसन मंटो के लिखे और मोहम्मद फ़ुजैल के निर्देशन में मंचित इस नाटक में ये दिखाने का प्रयास किया गया है कि जब कोई व्यक्ति बीमार होता है, वो भी जब वो परदेस में हो तो कैसे-कैसे अनुभवों से गुज़रता है। लोग उसे कैसे-कैसे परामर्श देते हैं कि बीमार व्यक्ति दुविधा में पड़ कर अपना सही इलाज नहीं करा पाता, इस दुविधा में रहता है कि वह किसकी सलाह माने किसकी नहीं। उसका नौकर भी अनपढ़, जिसे इलाज के बारे में कुछ भी पता नहीं। जिसने जो भी बताया वो लेने दौड़ पड़ा।
नाटक में शिक्षाप्रद बात यह है कि जब भी कोई बीमारी हो तो किसी अनुभवी डॉक्टर से सलाह लेकर उसका इलाज करायें। दूसरे मायनों में जब भी कोई मुसीबत या परेशानी आये तो किसी अनुभवी व्यक्ति से ही सलाह करें, जो उचित हो वही माने। साथ ही अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करें। नाटक में रजत वर्मा, मुकुल कुमार, आशुतोष अवस्थी, मोहम्मद आवेश, अनूप सोनवाल, सक्षम कपूर, डिम्पल सिंह ने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया। संचालक कमाल अख्तर के निवेदन पर अतिथियों के तौर पर डा सरदार मेहंदी और वरिष्ठ पत्रकार राजवीर रतन ने आजाद थियेटर में प्रशिक्षण पा रहे कलाकारों को प्रमाण पत्र वितरित किए।
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