हँस लें, गा लें, नाच लें
जी लें, अपना बचपन
उम्र, न बाधा बने तनिक
हों साठ, या पचपन
कूदें, पकड़ें, लपककर
अपने हिस्से का, गगन
चल, सागर तट पर चलें
लहरें, देतीं आमन्त्रण
भीगें, अश्रु भर, नहा लें
दोस्तों के, दुःख में
दर्द में, न हों साथ तो
क्यों होना, सुख में
सूरज को, है डूबना
ये है विदित, सत्य
जिया करें, जीवन जी भर
मित्रों, हो कर मस्त
धन का संचय, गौण है
प्यार, आधार जीवन का
रोकें न हम भावना,
कर लें, हृदय व मन का
क्षमा माँगना, शक्ति है
नहीं है, लघु ये काम
ब्रज, मन को हर्षित रखे
कर दान, पुण्य का काम
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र