व्यक्तित्व विकास के प्रति सजगता का विचार प्राचीन काल से रहा है। शासन सत्ता के संचालन व व्यवसायिक प्रबंधन में इसका महत्व पहले भी रहा है। इसके अनुरूप किसी न किसी रूप में सहज स्वभाविक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था रही है। शास्त्रों में भी इनका उल्लेख मिलता है। आधुनिक युग में इसका नए अंदाज में प्रतिपादन किया गया।
नई शिक्षा नीति में इस विषय को स्थान दिया गया। इसके दृष्टिगत विद्यांत हिन्दू पीजी कॉलेज के वाणिज्य विभाग द्वारा विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें केकेसी महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ के के शुक्ला ने विद्यार्थियों को व्यक्तित्व विकास व बेहतर संवाद सम्प्रेषण के टिप्स दिए। यह बताया गया व्यक्तित्व विकास का दायरा व्यापक है। इसमें सकारात्मक विचार उनकी प्रभावी अभिव्यक्ति व लेखन, आत्म विश्वास,संबंधित विषय का ज्ञान चरित्र आदि का समावेश होता है। इन सभी के प्रति सजग रहना चाहिए।
संगोष्ठी का उद्घाटन प्रबंधक शिवाशिष घोष व प्राचार्या प्रो धर्म कौर ने किया। विषय प्रवर्तन विभागाध्यक्ष डॉ राजीव शुक्ला ने किया। इसके संयोजक डॉ अभिषेक वर्मा थे। संचालन डॉ शांतनु श्रीवास्तव ने किया। वाणिज्य विभाग के डॉ दीप किशोर श्रीवास्तव, डॉ शशिकांत त्रिपाठी, डॉ हनीफ मोहम्मद, डॉ दिनेश मौर्य, डॉ गीतेश, डॉ कौटिल्य, ऋषभ रंजन ने भी विचार व्यक्त किये।
कार्यकम में डॉ बृजेश कुमार, डॉ विजय कुमार, डॉ बिजेंद्र पांडेय डॉ अमित वर्धन, डॉ ध्रुव कुमार त्रिपाठी,डॉ आर के यादव, डॉ श्रवण गुप्ता, डॉ बृजभूषण यादव, डॉ जितेंद्र पाल,डॉ शहादत, डॉ संजय यादव, डॉ उषा देवी, डॉ प्रभा गौतम, डॉ सावित्री तड़ागी, डॉ ममता भटनागर, डॉ सौरभ पालीवाल के अलावा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।
- डॉ दिलीप अग्निहोत्री