जी के चक्रवर्ती
दीपक और प्रकाश का जीवन मे बहुत बड़ा महत्व है एक जलता हुआ दिया अंधकार को दूर करने वाले प्रकाश को ज्ञान का स्त्रोत भी माना जाता है। पौराणिक परम्पराओं एवं मान्यताओं के अनुसार, दिया जलाने से घर आंगन प्रकाशमय होने से नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मकता का वातावरण का सृजन करता है। इसीलिए हमारे संस्कृति में प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठानों में दीपक जलाना अनिवार्य है। वैसे आपको यहाँ बता दें कि प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठानों के पीछे हम मनुष्यों के स्वास्थ्य और प्राकृतिक वातावरण को स्वच्छ बनाये रखने का विधान है।
प्रकाश का अर्थ ज्ञान औऱ उजाले से है। ज्ञान रूपी उजाला मनुष्यों के मन मस्तिष्क के अंधकार को मिटा देता है। इसीलिए प्रत्येक धर्म शास्त्रों के धार्मिक आयोजनों पर दिया जलाना और उसे प्रज्वलित करने विधि विधान है।
जैसे हमारे वेद पुराणों में पूजा-पाठ के समय घी और तेल के दीपक जलाने का प्राविधान किया गया है। वैसे हमारे संस्कृति में पूजा पाठ के अलावा खुशियों के अवसर पर भी दीप जलाए जाते हैं। अब यहां जब हम दीपावली के त्यौहार पर दीप जलाने का कारण व महत्व अलग होता है, वैसे दीपावली के इस त्यौहार को दीपोत्सव भी कहा जाता है।
जहां तक इसके मनाने के कारणों की जब हम बात करते हैं तो हमारे पुराणों धर्म शास्त्रों में वर्णित जब रामचंद्र जी 14 वर्षों के बाद अयोध्या पहुँचे तो सभी अयोध्यावासीयों ने अपने अपने घरों को दिए जला कर सजाया था उस समय से हमारे देश में दीपावली के दिन प्रत्येक घरों को दीप माला से सजा कर लक्ष्मी गणेश की पूजा-अर्चना करने की परिपाटी आज तक क़ायम है।
दीपक जलाने का मतलब होता है कि अपने जीवन से अंधकार हटाकर प्रकाश फैलाना। प्रकाश प्रतीक होता है ज्ञान का। इसलिए कहा जाता है कि पूजा में दीपक जलाकर हम अंधकार अर्थात नकारात्मक उर्जा को अपने जीवन से दूर भगाते हैं। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन मे कई तरह की परेशानियों से जुझने में सक्षम बनाता हैं। वैसे दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित कर घर के वातावरण को संतुलित करता रहता है।