प्रेम नहीं रहा…
ईर्ष्या, प्रेम, अहंकार जैसी
कई भावनाएँ एक द्वीप पर थीं।
अचानक समुद्र में तूफान आ गया
और द्वीप डूबने लगा।
सभी भावनाएँ डर गयीं
और बचाव का रास्ता ढूंढने लगीं।
प्रेम ने सभी को बचाने के लिए
एक नाव बनायी।
सभी भावनाएँ
प्रेम का आभार जताते हुए
नाव में बैठ गयीं।
प्रेम ने सब को देखा
कोई छूट न जाये।
सभी भावनाएँ तो
नाव में सवार थीं, लेकिन
अहंकार नहीं दिखा।
प्रेम ने देखा
अहंकार डूब रहा था…
प्रेम ने समुद्र से अहंकार को
ऊपर लाने की बहुत कोशिश की,
लेकिन अहंकार डूबता गया।
नाव में सवार सभी भावनाएँ
प्रेम को पुकार रहीं थीं,
“जल्दी आओ प्रेम!”
प्रेम ने जवाब दिया
” मैं तो अहंकार को लेकर ही निकलूँगा।”
भावनाओं ने फिर प्रेम को समझाया,
अहंकार को जाने दो,
क्योंकि वह तो जिद्दी है,
लेकिन प्रेम को आशा थी,
“मैं अहंकार को लेकर आऊँगा….”
अचानक तूफान तेज हो गया
नाव भी डगमगा गयी।
भावनाएँ प्रेम के चक्कर में
और प्रेम अहंकार के चक्कर में
सदा के लिए खामोश हो गया !
- गौरव मिश्रा