शिव की शक्ति से रचा है संसार
भक्ति में कितनी शक्ति है यह हम दिन रात सड़कों पर चल रहे कांवरियों को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं। कि उनकी भगवान शिव के प्रति कितनी श्रद्धा है। हम देखते आ रहे हैं कि शिव रात्रि के एक माह पूर्व से ही कांवरियों का दल चहुं ओर से उत्तर प्रदेश के जिला बाराबंकी की राम नगर तहसील के महादेवा गांंव में घाघरा नदी के तट पर स्थित लोधेश्वर महादेव के धाम में आकर अपनी भाव – भक्ति महाशिवरात्रि के पर्व पर प्रकट करते हैं।
इस जिले में पड़ने वाला लोधेश्वरन शिव मंदिर के लिये शिव भक्त उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों से अपने अपने कावरों को कंधे पर टांगे पैदल ही वहां तक की दूरी को पार करने के बम-बम-भोले, बम-बम-भोले और शंकर जी का कहना है गंगा जी मिलना है के नारे की गुंजायन के साथ कहते हुए निकलते है।
मालूम हो कि लोधेश्वर मंदिर भक्तों के लिए के लिये बहुत प्रसिद्ध है, यहां भक्तों की इच्छा अति प्राचीन काल से पूरी होती चली आ रही है और आज भी हो रही हैं। यहां लाखों शिवभक्तों के विभिन्न झुंडों में प्रति वर्ष फाल्गुन के महीने अर्थात महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रसिद्ध शिवलिंग की पूजा करने और उनके ऊपर गंगा जल अर्पित करने के लिए इस स्थान पर पहुंचते हैं।
बता दें कि बाराबंकी का लोधेश्वर महादेव के मंदिर का एक प्राचीन इतिहास भी है। बताया जाता है कि इस मंदिर का शिवलिंग भारत के अनेकों जगहों पर स्थित 52 अनोखे एवं दुर्लभ शिवलिंगों में से एक है।
महाशिवरात्रि के पावन दिन के बारे में कहा जाता है कि यूं तो साल में प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि का आयोजन किया जाता है लेकिन उत्तर भारतीय पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी एवं गुजरात, महाराष्ट्र के पंचांग के अनुसार माघ-मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी सर्वोत्तम है इसलिए इसे शिवरात्रि नहीं महाशिवरात्रि कहलाया। वेद पुराणो की ऐसी मान्यता है कि इस दिन प्रकृति को धारण करने वाली देवी पार्वती और पुरुष रूपी शंकर का विवाह संपन्न हुआ था।
हिंदू धर्म में रात्रि कालीन विवाह मुहूर्त को उत्तम माना गया है इसी कारण भगवान शिव का विवाह भी देवी पार्वती से रात्रि के समय ही संपन्न हुआ। इसलिए उत्तर भारती पंचांग के अनुसार जिस दिन फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि मध्य रात्रि यानी निशीथ काल में होती है उसी दिन को महाशिवरात्रि का दिन ब्रत एवं पूजन का आयोजन किया जाता है। – प्रस्तुति: जी के चक्रवर्ती