उपभोक्ता परिषद ने उठाई उच्च स्तरीय जांच की मांग कहा भारत सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार 2020 में चाइनीस मीटर पर लगा चुकी है प्रतिबंध
लखनऊ, 19 मार्च: उत्तर प्रदेश में जहां बडे पैमाने पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की पूरी तैयारी की जा रही है वहीं उपभोक्ता परिषद ने एक खुलासा कि बिजली कंपनियां किस प्रकार स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाले निजी घरानों पर मेहरबान है बिजली कंपनियों की तरफ से स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के पहले उनकी गारंटीड टेक्निकल पर्टिकुलर यानी जी0टी0पी जो बिजली कंपनियों की तरफ से अनुमोदित की जा रही है उसमें मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की जी0टी0पी में खुलासा हुआ की स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी मीटर के अंदर महत्वपूर्ण पैरामीटर जैसे माइक्रोप्रोसेसर डिस्प्ले माड्यूल ऑप्टिकल पोर्ट पावर सप्लाई इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट बैटरी पीसीबी आरटीसी व अन्य लगने वाल ज्यादातर कॉम्पोनेंट का मेक और ओरिजन चाइनीस बता रहा है और उसे अनुमोदित भी किया गया है यानी कि आने वाले समय में स्मार्ट प्रीपेड मीटर जो लगेगा उसके अंदर के कंपोनेंट चाइनीस होंगे जो पूरी तरह गलत है भारत सरकार वह उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020 में चीनी मीटर लगाने पर रोक लगा दिया था जब सीमा विवाद हुआ था अब उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर लगने वाल प्रमुख तकनीकी पैरामीटर को चाइनीस कंपनी द्वारा लिया जाना प्रस्तावित करना ही अपने आप में बडे जांच का मामला है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा स्मार्ट प्रीपेड मीटर उत्तर प्रदेश में काफी ऊंची दरों पर खरीदे जा रहे हैं इसके बावजूद भी उसमें लगने वाले प्रमुख कंपोनेंट को चीनी कंपनियों द्वारा खरीदे जानेकी अनुमति अपने आप में गंभीर मामला है जल्द ही पूरे मामले पर उपभोक्ता परिषद पावर कार्पोरेशन प्रबंधन से बात करेगा और इस प्रकार की कार्यवाही पर अभिलंब विराम लगाने की मांग करेगा सभी बिजली कंपनियों मे स्मार्ट प्रीपेड मीटर की जीटीपी को अनुमोदित करने के लिए होड मची है आखिर ऐसा क्या है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाले निजी घराने जो चाह रहे हैं
वही जीटीपी अनुमोदित कर ले रहे हैं इसकी भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए सब मिलकर उपभोक्ताओं के परिसर पर लगने वाला तराजू यानी स्मार्ट प्रीपेड मीटर उच्च गुणवत्ता का होना चाहिए इस पर बिजली कंपनियों को बहुत ही इमानदारी से पारदर्शी तरीके से निर्णय लेने की जरूरत है। चाइनीस कंपोनेंट को अनुमोदित करने वाले जो भी दोषी अभियंता है उनके खिलाफ की जाए कठोर कार्रवाई।