पंकज चतुर्वेदी
मालदीव में भारत विरोधी एजेंडे के साथ चुनाव जीतने वाले मोहम्मद मुइज्जी को जिस तरह हैंडल किया जा रहा है, उसे परिपक्व तो नहीं ही कहा जा सकता! चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक तीखे संपादकीय में टिप्पणी की कि ‘बीजिंग ने कभी भी चीन और भारत के अपने संघर्ष के कारण माले को नई दिल्ली को खारिज करने को नहीं कहा, न ही वह मालदीव और भारत के बीच सहयोग को खतरे के तौर पर देखता है।’ संपादकीय में यह भी कहा गया कि भारत से पहले चीन आने के मुइज्जू के फैसले का यह मतलब नहीं कि मालदीव ‘चीन समर्थक और भारत विरोधी है। यह सिर्फ इतना दिखाता है कि मुइज्जू भारत के साथ सामान्य भाव से रिश्तों को आगे बढ़ा रहे हैं’।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लक्षद्वीप की दो दिवसीय यात्रा के बाद किया गया यह एक सहज सोशल मीडिया पोस्ट था। उन्होंने 4 जनवरी को पोस्ट किया- ‘मैं अब भी इसके द्वीपों की आश्चर्यजनक सुंदरता से अभिभूत हूं… मुझे अगत्ती, बंगाराम और कावारत्ती में लोगों के साथ बातचीत का अवसर मिला… यहां कुछ झलकियां हैं जिनमें लक्षद्वीप के ऊपर से ली गईं तस्वीरें शामिल हैं… उन लोगों के लिए जो एडवेंचर यात्रा करना चाहते हैं, उनकी सूची में लक्षद्वीप भी होना चाहिए। अपने प्रवास के दौरान, मैंने स्नॉर्कलिंग (श्वास नली लगाकर गोता लगाना) का भी प्रयास किया – यह कितना आनंददायक अनुभव था! अछूते समुद्र तटों पर सुबह की सैर भी आनंद भरे क्षण थे…।’
यह मोदी की लक्षद्वीप की पहली यात्रा थी और किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की दूसरी। प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी ने यहां आधिकारिक कार्य में भाग लिया था और दिसंबर, 1987 में बंगाराम द्वीप पर वर्षांत की छुट्टियां बिताई थीं। मोदी ने 2019 के चुनाव अभियान में 1987 की राजीव गांधी की उस यात्रा को लेकर आरोप लगाया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अपने पद का दुरुपयोग किया था। हालांकि निजी अवकाश के लिए अपने पद के दुरुपयोग के आरोपों का सेवानिवृत्त रक्षा सेवा अधिकारियों और लक्षद्वीप के तत्कालीन प्रशासक वजाहत हबीबुल्लाह ने गलत बताया था। हबीबुल्लाह ने कहा था, ‘बैठक के बाद, राजीव गांधी ने अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने के लिए कुछ दिनों के लिए वहीं रुकने का फैसला किया। राजीव के रिश्तेदार, यानी सोनिया गांधी की बहन और उनके पति और अमिताभ बच्चन और जया बच्चन लक्षद्वीप आए। कोई कावारत्ती भी नहीं गया। उन्होंने कोच्चि से बंगाराम तक हेलीकॉप्टर सेवाएं लीं जहां वे गेस्टहाउस में ठहरे थे। अगर किसी को संदेह है, तो उन्हें अमिताभ बच्चन से पूछना चाहिए।’ साथ ही हबीबुल्लाह ने बताया था कि समूह ने कोच्चि से बंगाराम तक हेलीकॉप्टरों में उड़ान के लिए भुगतान किया था और उनकी यात्रा से जुड़ा कोई बिल प्रशासन के पास नहीं आया था।
लाइफ जैकेट में स्नॉर्कलिंग करते हुए मोदी की तस्वीरों वाले पोस्ट पर सोशल मीडिया पर कई अशोभनीय टिप्पणियां की गईं और तीखी प्रतिक्रिया हुई। किसी भी स्थिति में 60 साल की आयु के बाद तैराकी और स्नॉर्कलिंग मुश्किल, जोखिम भरा और जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है। तो, इस उम्र में मोदी जी ने इसे आजमाया, यही बड़ी बात है।
मालदीव में तीन उपमंत्रियों द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री का मजाक उड़ाने और उन्हें ‘आतंकवादी’ और ‘विदूषक’ कहने का संदर्भ क्या था, यह साफ नहीं है क्योंकि सोशल मीडिया पर बवाल के कुछ ही घंटों के भीतर पोस्ट हटा दिए गए थे। सभी तीन मंत्रियों को तुरंत ‘निलंबित’ कर दिया गया और राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जी जिन्हें अक्तूबर में ‘इंडिया आउट’ के मुद्दे पर चुना गया था, ने टिप्पणियों को अत्यधिक गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए उनकी निंदा की। मालदीव सरकार ने खेद जताया और मालदीव के व्यापार निकायों ने अपने भारतीय भागीदारों से माफी भी मांगी।
हालांकि भारत सरकार की ओर से कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया लेकिन विदेश मंत्रालय ने अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए मालदीव के दूत को तलब किया। सोशल मीडिया पर मालदीव पर भारत की ओर से जिस तरह के हमले होते रहे, उस पर भारत सरकार की चुप्पी ने इस संदेह को मजबूत किया कि इसे सरकारी ‘आशीर्वाद’ प्राप्त था। हैशटैग #BoycottMaldives एक्स पर ट्रेंड करने लगा। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, भारतीय टूर ऑपरेटरों और एयरलाइंस ने भारतीयों द्वारा बड़े पैमाने पर अपनी यात्रा योजनाओं को रद्द करने की सूचना दी है जिससे मालदीव में होटलों और रिसॉर्ट्स में दरें कथित रूप से कम हो गई हैं।
विडंबना यह है कि मालदीव पर्यटन प्राधिकरण की वेबसाइट का दावा है कि 2022 में मालदीव जाने वाले पर्यटकों में 11 फीसद भारतीय थे। रूसियों की संख्या लगभग इतनी ही थी और इनके बाद चीनी पर्यटकों का स्थान था जो 10 फीसद थे। भारत, रूस और चीन से लगभग 32 लाख पर्यटक गए, वहीं ब्रिटेन, अन्य यूरोपीय देशों और अमेरिका से भी इतनी ही संख्या में पर्यटक गए।
इसी हफ्ते चीन की पांच दिवसीय यात्रा पर मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चीन से अनुरोध किया कि वह और ज्यादा पर्यटक भेजकर इनकी संख्या के मामले में नंबर-वन बन जाए। मुइज्जू ने भारत का कोई संदर्भ नहीं दिया लेकिन उनकी अपील भारत में ‘मालदीव के बहिष्कार’ के आह्वान के बाद आई।
इनसे राजनयिक निराश हैं। पूर्व राजदूत और विश्लेषक के.सी. सिंह ने कहा, ‘संयमित प्रतिक्रिया से एक गैर-दोस्ताना सरकार को अपने फैसले को बदलने के लिए मजबूर किया जा सकता था। इसके बजाय, सोशल मीडिया पर हमले, अलग-थलग करने की मांग ने रिश्ते खराब कर दिए और चीन को बढ़त दे दी।’
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक तीखे संपादकीय में टिप्पणी की, ‘बीजिंग ने कभी भी चीन और भारत के अपने संघर्ष के कारण माले को नई दिल्ली को खारिज करने को नहीं कहा, न ही वह मालदीव और भारत के बीच सहयोग को खतरे के तौर पर देखता है।’ संपादकीय में यह भी कहा गया कि भारत से पहले चीन आने के मुइज्जू के फैसले का यह मतलब नहीं कि मालदीव ‘चीन समर्थक और भारत विरोधी है। यह सिर्फ इतना दिखाता है कि मुइज्जू भारत के साथ सामान्य भाव से रिश्तों को आगे बढ़ा रहे हैं।’
भाजपा नेताओं और भारतीय विदेश नीति प्रतिष्ठान ने आलोचना का चुप्पी के साथ स्वागत किया। ऐसे में ‘ग्लोबल टाइम्स’ का संपादकीय एक कड़वी गोली के रूप में आया है क्योंकि कुछ ही दिन पहले अखबार ने भारत की जमकर तारीफ की थी जिसे भारत में बड़े गर्व के साथ उद्धृत किया गया था। फुडन यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर साउथ एशियन स्टडीज के निदेशक झांग जियाडोंग ने लेख में तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने में भारत की ‘महान उपलब्धियों’ की तारीफ की। उन्होंने लिखा था कि चार वर्षों में उनकी भारत की पिछली दो यात्राओं से पता चला कि ‘चीनी विद्वानों के प्रति रवैया अधिक सहज और उदारवादी था’ और भारत रणनीतिक रूप से अधिक आश्वस्त था।
‘इंडिया आउट’ के नारे के साथ चुनाव प्रचार और फिर जीत हासिल करने वाले मुइज्जू को गलत तरीके से हैंडल करना परिपक्वता नहीं। मुइज्जू ने सीओपी-28 के मौके पर दुबई में मोदी से भेंट में भी भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने की मांग की थी। दिसंबर में मालदीव ने अपने जल क्षेत्र में हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण पर भारत के साथ करार को रद्द करने का फैसला किया। 2019 में हुए इस करार को भारत-मालदीव रक्षा संबंधों का प्रतीक कहा गया था।
इसके अलावा दिसंबर में मालदीव ने चीन के नेतृत्व वाले फोरम की बैठक में जाने का विकल्प चुनते हुए, कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव की बैठक में भाग नहीं लिया था। क्या भारत की ‘बड़े भाई’ की दादागिरी ने मालदीव को अलग-थलग कर दिया या क्या भारत ने मालदीव को हल्के में लिया जिससे वहां भारत विरोधी भावना पैदा हुई, कहना मुश्किल है। ‘बॉयकॉट मालदीव’ अभियान और मालदीव में भारत समर्थक नेता जिनमें से कुछ पहले ही मुइज्जू के इस्तीफे की मांग कर चुके हैं, तापमान को कम करने और द्विपक्षीय रिश्तों को पटरी पर लाने में मदद नहीं कर रहे।
मालदीव में भारत विरोधी भावनाएं नई नहीं। 2018 में, मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने भारत से मालदीव में खोज और बचाव कार्यों के लिए तैनात अपने दो हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान वापस लेने को कहा था। यामीन ने जोर देकर कहा कि अगर हेलीकॉप्टर और विमान उसे उपहार में दिए गए हैं, तो पायलट मालदीव के होने चाहिए, न कि भारत के। घरेलू स्तर पर भाजपा की कथित मुस्लिम विरोधी राजनीति के कारण आपसी अविश्वास भी बढ़ा है।
इस बीच ‘द हिन्दू’ ने बताया कि दिल्ली में इस तरह की अटकलें हैं कि चीन की योजना मालदीव में एक नौसैनिक अड्डा विकसित करने की है। इसमें कहा गया, ‘2018 में चीन ने माले के उत्तर में महासागर वेधशाला की योजना बनाई जो लक्षद्वीप द्वीप समूह से ज्यादा दूर नहीं है। मालदीव के विपक्षी नेताओं ने तब वेधशाला के संभावित सैन्य इस्तेमाल को लेकर आपत्ति जताई थी जिसमें पनडुब्बी बेस का प्रावधान भी शामिल था।’ इसके कोई सबूत तो नहीं हैं कि चीन ने उस योजना को दोबारा जिंदा कर दिया है लेकिन ऐसा हो भी सकता है।
पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव कहती हैं, ‘मैं केवल उम्मीद कर सकती हूं कि भारत और मालदीव के रिश्ते जो खासे अहम और रणनीतिक हैं, जल्द वापस पटरी पर आ जाएं। ये ऐसे रिश्ते नहीं हैं जिन्हें नजरअंदाज किया जाए। हम बराबर के भागीदार हैं।’
- लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।