मणिपुर की घटना एक भयानक तूफ़ान की तरह उठी और इसने देश ही नहीं दुनिया को भी झंकझोर दिया जिसकी कड़ी प्रतिक्रिया का असर यह रहा कि अपराधी रातों रात पकड़ लिए गए। अब बात मुद्दे की, मणिपुर में हिंसा को शुरू हुए करीब ढाई महीने बीतने को आए हैं लेकिन उस पर कोई नियंत्रण पाने की कोशिश नहीं हुई है लेकिन उससे भी ज्यादा अहम घटना महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने की है जो अपने आप में पूरी मानवता के लिए एक कलंक है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें कई आताताई लोग दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके सड़क पर घुमा रहे हैं। उनके साथ छेड़खानी भी की जा रही है। यह एक बेहद शर्मसार करने वाली घटना है और यह भी बताती है कि वहां के अवांछित तत्वों का दुस्साहस किस हद तक बढ़ गया है। जो निरंकुश हैं।
मणिपुर की घटना पर प्रदर्शन :
मणिपुर जैसी सैकड़ों घटनाएं हो चुकी हैं मणिपुर में कुकी महिलाओं के साथ क्रूर बलात्कार के विरोध में हजारों भारतीय सड़कों पर उतर आए और दिल्ली इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक प्रदर्शन कर सरकार से कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने पूछा कि सरकार 2 महीने से क्यों सो रही थी और बलात्कार और हत्याओं को रोकने के लिए कुछ क्यों नहीं कर रही थी, जिनके बारे में जांच चल रही है?
यही कारण है कि प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा है कि मामले पर सरकार कड़ी कार्रवाई करे वरना हम करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी चुप्पी तोड़ते हुए इस मामले को शर्मनाक बताया है। यह घटना चार मई की बताई जा रही है और इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
इस बारे में मणिपुर के मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी सैकड़ों घटनाएं हो चुकी हैं जिनके बारे में जांच चल रही है। इस बयान से तो यही लगता है कि ऐसी घटनाएं उनके लिए मामूली हैं। पीड़ित महिलाएं कुकी समुदाय की बताई जा रही हैं। यह छिपी बात नहीं है कि पिछले ढाई महीने से वहां किस तरह से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़पें जारी हैं। ऐसी स्थितियों में चूंकि महिलाएं सबसे आसान शिकार होती हैं और उनका अपमान कर पूरे समुदाय से बदला लेने का संतोष मिलता है, इसलिए जिन लोगों ने यह कांड किया उनके मन में यही भाव था। पुलिस ने भी इस मामले में सक्रियता तब दिखाई जब घटना का वीडियो वायरल हो गया। सच तो यह है कि अगर केंद्र और राज्य सरकार ने राज्य में फैली अराजकता पर गंभीरता दिखाई होती तो यह बहुत पहले ही रुक गई होती, लेकिन ऐसी कोई कोशिश नहीं की गई। ऐसे में स्वाभाविक है कि लोगों को यह भरोसा नहीं हो पा रहा है कि सरकारें अब भी किसी तरह की गंभीरता दिखाएंगी। फिलहाल जरुरी यह है कि सबसे पहले हिंसा पर काबू पाया जाये और वहां हालात सामान्य बनाये जाये जिससे जनजीवन सामान्य हो सके।