पटना, 27 अगस्त 2018: भोजपुरी सिनेमा स्क्रीन पर विलेन के रूप में अपना नाम दर्ज करा चुके देव सिंह को किसी भी तरह के दायरे में रह कर काम करना पसंद नहीं है। वे उन फिल्मों में काम करना चाहते हैं, जिनका स्तर उम्दा हो। कहानियां अच्छी हो और उसको प्रजेंटेशन अलग हो। उनकी ऐसी ही एक फ़िल्म 24 अगस्त को रिलीज हुई जिसका नाम ‘संघर्ष’ है। यह ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई भोजपुरी फ़िल्म मल्टीप्लेक्स में दिख रही है और उसके शोज हाउसफुल चल रहे हैं।
फ़िल्म को मिली इस कामयाबी से खुश देव सिंह का कहना है कि भोजपुरी इंडस्ट्री में बदलाव की जो बयार बही थी, अब वो नज़र आने लगी है। इसका सबसे बढ़िया उदाहरण ‘संघर्ष’ है, जो आज मास के साथ – साथ क्लास को भी पसंद आ रही है। उन्होंने खास तौर पर कहा कि ‘संघर्ष’ देख कर उन लोगों को भोजपुरी सिनेमा पर नाज होगा, जो अच्छी भोजपुरी फिल्में देखना चाहते थे। यह फ़िल्म पूरी तरह से सामाजिक फ़िल्म है। यह उस पिता के सपनों की कहानी है,जिन्हें अपनी बेटी की भविष्य की चिंता है। जो अपनी बेटी को सशक्त बनाना चाहते हैं। उन्हें आगे बढ़ना चाहते हैं।
देव ने कहा कि फ़िल्म ‘संघर्ष’ ने ये जाहिर कर दिया है कि अगर फिल्मों को मल्टीप्लेक्स में रिलीज करना है, तो कंटेंट अच्छी रखनी होगी। तभी दर्शक आपको देखने के लिए आएंगे। ‘संघर्ष’ ने भोजपुरी फ़िल्म निर्माताओं के लिए एक ट्रेंड सेट कर दिया है। अब अश्लीलता जैसी चीजों की भोजपुरी इंडस्ट्री में कोई जगह नही है। शुरुआत हो चुकी है। उम्मीद है आगे भी अच्छी अच्छी फिल्में आएंगी और भोजपुरी का भी खोया सम्मान वापस लौटेगा।
उन्होंने फिल्म ‘संघर्ष’ में अपने किरदार को लेकर कहा कि फ़िल्म में मेरा किरदार शॉकिंग है। एक एक्टर के नाते मेरे लिए मेरा किरदार अहम है, जिसे जीने की मैं भरपूर कोशिश करता हूँ। यही वजह है कि मैं लगातार अपनी फिल्मों में अलग – अलग किरादर में नज़र आता हूँ। ‘संघर्ष’ मेरे लिए चुनौती पूर्ण था, क्योंकि इस फ़िल्म में मैंने कॉलेज बॉय की भूमिका की है, जिसमें मुझे अपनी उम्र से कम दिखना था। इसे मैंने प्रूफ किया। देव सिंह ने खुद को एकलव्य और अवधेश मिश्रा को गुरु द्रोण बताया।