गौतम चक्रवर्ती
अमेरिका के शिकागो शहर में वर्ष1886 में श्रमिकों द्वारा एक शांतिपूर्ण रैली का आयोजन किया गया था इसमें पुलिस के साथ श्रमिकों की हिंसक झड़प हुई, जिसमें 38 नागरिकों और 7 पुलिस अधिकारीयों की मौत हो गई थी। तभी से इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
भारत में मई दिवस या मजदूर दिवस या ‘अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस’, तमिल में ‘उझोपलार नाल’ और मराठी में ‘कामगार दिवस’ जैसे कई नामों से देश अनेक राज्यों में अलग-अलग नामो से मनाया जाता है।
भारत ने अपना सबसे पहला मजदूर दिवस वर्ष 1923 में मद्रास के राजधानी चेन्नई में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा एक समारोह के रूप में आयोजन किया था और विश्व में भारत सहित 80 से अधिक देशों में मजदूर दिवस के अवसर पर एक दिन की छुट्टी भी घोषित किया।
अमेरिका के शिकागो शहर में, श्रमिकों के एक संघ द्वारा वर्ष 1886 में 8 घंटे के कार्यदिवस के लिए आम हड़ताल की गई थी। हड़ताल हिंसक होने के पश्चात उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिसकर्मियों द्वारा फायरिंग शुरू कर दी गई थी जिसमे जनता पर बम भी फेंके गये थे। तत्यकाल कई मजदूरों की मौत हो गई और कुछ घायल भी हो गए थे। इस हड़ताल के कुछ वर्षों के बाद मजदूरों की सभी मांग मान ली गई और तभी से वर्ष1916 से अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाये जाने लगा।
वैसे मई दिवस सबसे पहली बार 1 मई वर्ष 1890 को मनाया गया था तो वहीं पेरिस में श्रमिकों के लिए प्रत्येक वर्ष 1 मई के दिन ‘अंतर्राष्ट्रीय एकता श्रमिक दिवस’ के रूप में मनाये जाने की परम्परा है।
यूरोप में 1 मई को ग्रामीण पारम्परिक किसान त्यौहार के साथ जोड़ कर इसे मनाया जाने लगा, लेकिन बाद में इसे मई दिवस को भी इसमे जोड़ दिये जाने से इस दिन को श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस समाज में कर्मचारियों के योगदान और देश के निर्माण में उनके अतुलनीय योगदान के लिए मनाया जाता है हमारे भारतीय समाज के मजदूरों के मध्य एकता लाने और उनके शोषण को रोकने के लिए जिन मजदूरों ने अपना सम्पूर्ण जीवन निछावर कर दिया ऐसे मजदूरों के वलिदान को याद करने और दुनिया के सभी मजदूरों में एकता का आवभान कर उनके अंदर आत्मविश्वास पैदा करने के लिए मनाया जाता है। इसे भारत में मई दिवस के रूप में भी जाना जाता है।
यह वर्ष1923 में भारत में उस वख्त अस्तित्व में आया था, जब कॉमरेड सिंगरवेलर के नेतृत्व में “लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान” ने इसे सबसे पहले एक राष्ट्रीय उत्सव के रूप में आयोजित किया था। इसके बाद से देश की सरकार ने मजदूर दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया।