नयी दिल्ली, दिल्ली की एक अदालत ने मेधा पाटकर और केवीआईसी अध्यक्ष वीके सक्सेना की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे की सुनवायी के दौरान नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ता मेधा पाटकर के बार-बार अनुपस्थित रहने पर उन पर 10,000 रपये का आज जुर्माना लगाया।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विक्रांत वैद्य ने मेधा को एक अंतिम अवसर देते हुए उन्हें चेतावनी दी कि यदि इस बार वह पेश होने में असफल रहती हैं तो सक्सेना के खिलाफ उनकी शिकायत रद्द कर दी जायेगी।
मजिस्ट्रेट ने पूछा, ‘ ‘आप यह (मुकदमा) क्यों करना चाहती हैं जब आप अदालत ही नहीं आ सकतीं? ‘ ‘
मेधा के वकील ने अदालत को बताया कि वह मध्यप्रदेश के एक गांव में भूख हडताल पर हैं इसके बाद मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘ ‘ एक आखरी मौका दिया जाता है और दस हजार रूपए का जुर्माना लगाया जाता है। ‘ ‘
वहीं सक्सेना के वकील महिपाल ने व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगने वाली मेधा की याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि मेधा जानबूझ पर अदालत के समक्ष पेश नहीं हो रहीं हैं और अगर वह अस्वस्थ्य हैं तो भूखहडताल कैसे कर रही हैं। ‘ ‘
अदालत ने मेधा के पिछली तारीख पर भी नहीं आने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह ‘ ‘ स्वेच्छा ‘ ‘ से भूख हडताल पर गर्इं हैं और अगर वह सुनवायी की अगली तारीख 17 अगस्त को अदालत के समक्ष पेश नहीं हुर्इं तो उनकी शिकायत रद्द कर दी जाएगी।
उनके वकील ने उनकी मेडिकल रिपोर्ट भी अदालत के समक्ष पेश की और कहा कि वह अस्वस्थ्य हैं और दिल्ली की यात्रा करने की हालत में नहीं हैं।
अदालत ने 26 जून को मेधा को ‘ ‘भविष्य में सचेत रहने ‘ ‘ की चेतावनी दी थी और पेशी की तारीख पर नहीं आने के कारण 29 मई को उनके खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट को रद्द कर दिया था।
अदालत ने जनवरी 2015 में भी अदालत के समक्ष पेश नहीं होने पर मेधा पाटकर पर 3000 रपये का जुर्माना लगाया था।
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