लखनऊ, 2 अप्रैल। बाल संग्रहालय लान चारबाग में चल रहा लखनऊ पुस्तक मेले की आज की चहल-पहल के बीच किताबों महत्व बरकरार है। यहां के सांस्कृतिक मंच पर आज भी विमोचन समारोहों के संग काव्यरस की वर्षा होती रही।
हमेशा की तरह अध्यात्म, धर्म, दर्शन और वेद-वेंदात साहित्य की तलाश करने वाले पुस्तक प्रेमियों का एक बड़ा वर्ग मेले में पिछले दिनों से लगातार अपनी खोज और जिज्ञासा शांत करने में लगा रहा। मेले में धर्म, अध्यात्म, वेंदांत और दर्श्न-मनोविज्ञान की महत्वपूर्ण पुस्तकें मौजूद हैं। रेशनल थिंकर के स्टॉल पर स्टेफिन मेयर की रिटर्न ऑफ गोल्ड, उमज किया की इफ आई शुड स्पीक है। तो आईआरएच प्रेस इंडिया कंपनी के पास स्यूहो ओकावा की मोटीवेशनल बुक्स में रहस्य के नियम, आस्था के नियम और लक्ष्य के नियम सहित अनेक पुस्तकें हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन प्रभाग के स्टाल पर बेनाय के बहल की बुद्धिज्म, ड्वोशनल पोयट एंड मिस्टीक के अलावा महाभारत, रामायण, भागवत पर आधारित दर्शन व टीका की अनेक पुस्तकें इस स्टाल के अलावा अन्य स्टालो पर भी मौजूद हैं। बुकलैंड के स्टॉल पर ओशो की प्रेमयोग, राधेश्याम त्रिपाठी की श्रीमदभगवद गीता संग्रह सार-संग्रह, योगी अमृत कथा, परमहंस योगानंद की आटोबायोग्राफी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर शांतनु गुप्ता की एक योगी जिसने बदला उत्तर प्रदेश प्रमुख है।
मंच से भी आज आध्यात्मिक चर्चा के संग नशामुक्ति और दहेज प्रथा के बुरे असर को रेखांकित करते हुए अपने अनुभव और तथ्य सतलोक आश्रम की ओर से विद्वजनों ने प्रेक्षकों के सामने रखे। विश्वम महोत्सव के तहत यूपी त्रिपाठी के संयोजन में बच्चों व युवाओं की प्रतियोगिताएं हुईं।
एलबीएस स्कूल तोपखाना के स्टूडेंट्स सानिया, अर्शलान, अरमान ने कवितापाठ किया और पर्यावरण पर स्पीच दी। मेरी धरती मेरी जिम्मेदारी कार्यक्रम में गोंडा के युवा प्रकृतिप्रेमी अभिषेक दूबे ने गोंडा की टेढ़ी नदी के मिटते अस्तित्व पर प्रकाश डाला और पर्यावरण सहेजने-संवारने का संदेश दिया। लखनऊ यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग की छात्र-छात्राओं आंचल, स्निग्धा, साक्षी, श्रेयांशी ने समाजकार्य में संभावनाएं विषयक परिचर्चा की।
स्वरूप लिटरेरी कल्चरल सोसायटी की ओर से बेनजीर की कथात्मक किताब डिवोर्सी के नये संस्करण का विमोचन हुआ। इसमें जनाब अनीस अंसारी, रिजवान अहमद, अतहर नबी, सिराज मेहंदी, हसन काजमी सहित कई साहित्यप्रेमी मौजूद थे। रेवांत के कार्यक्रम साहित्यकारों का सम्मान हुआ तो उनकी रचनात्मक अभिव्यक्ति भी मुखरित हुई।