डॉ दिलीप अग्निहोत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान और पापुआ न्यू गिनी की यात्रा सफल रही. दो देशों में वह तीन वैश्विक सम्मेलन में सहभागी हुए. जापान में जी 7 और क्वांड सम्मेलन हुआ था. जबकि पापुआ न्यू गिनी में फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन का शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था. इन तीनों सम्मेलनों में नरेंद्र मोदी के विचारों प्रस्तावों को सर्वाधिक महत्व दिया गया. यहां नरेंद्र मोदी मार्गदर्शक की भूमिका में थे. उन्होंने विश्व में शांति, सौहार्द और परस्पर सहयोग का संदेश दिया. चीन और पाकिस्तान जैसे देश इसमें बाधक हैं. ये देश आतंकवाद का बचाव करते हैं. इसलिए इन पर नकेल कसना आवश्यक है. उल्लेखनीय है कि
फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन की स्थापना नरेंद्र मोदी ने किया था. 2014 में नरेंद्र मोदी की फिजी यात्रा के दौरान इसका गठन किया गया था। शिखर सम्मेलन में चौदह देशों के नेताओं ने भाग लिया। बहुत कम ऐसे मौके हैं जब कनेक्टिविटी और दूसरे कारण ये देश आपस में मिलते हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी की कोशिशों की वजह से आज ये शिखर सम्मेलन होते हैं. इसमें शामिल होने के लिए नरेंद्र मोदी यहां पहुँचे थे.
अंतरराष्ट्रीय राजनीति और संबंध में चित्रों का भी महत्व होता. कई बार ऐसे चित्रों और बॉडी लेंग्वेज से भी निष्कर्ष निकाले जाते है, आकलन किया जाता है. ऐसा ही दुर्लभ चित्र मोदी पापुआ न्यू गिनी में दिखाई दिया. नरेंद्र मोदी यहां के मोरेस्बी हवाई अड्डे पर पहुँचे थे. यहां एक दुर्लभ क्षण दिखाई दिया. पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे ने उनके पैर छूए और उनका आशीर्वाद मांगा. य़ह मोदी और भारत के प्रति दुर्लभ अभिव्यक्ति थी. इसके पहले नरेंद्र मोदी ने जी7 सत्र को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र की कमजोरियों का उल्लेख किया. कहा कि य़ह दुनिया की वर्तमान वास्तविकता को प्रतिबिंबित नहीं करता है. सुधार ना हुआ तो केवल बातचीत का मंच ही बनकर रह जाएगा. संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद की परिभाषा तक को स्वीकार नहीं किया गया. य़ह सुझाव नरेंद्र मोदी ने कई वर्ष पहले दिया था. चीन आतंकी संगठनों और उनको संरक्षण देने वाले मुल्कों का बचाव करता है. वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है.आतंकवाद की परिभाषा कैसे तय हो सकती है. रूस यूक्रेन युद्ध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य परोक्ष अपरोक्ष रूप से शामिल है. एक तरफ रूस है, दूसरी तरफ अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस मिल कर यूक्रेन की सहायता कर रहे है. जाहिर है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की उपयोगिता पर प्रश्नचिह्न लगा है. इसमें सुधार की तत्काल आवश्यकता है. जिन समस्याओं पर इसे ध्यान देने की आवश्यकता है, उन्हें नरेंद्र मोदी ही उठा रहे है. उनका समाधान भी बता रहे है. खाद्य, स्वास्थ्य और विकास मानवीय मूल्यों की रक्षा, लोकतंत्र की रक्षा, मानवाधिकारों की रक्षा, अंतर्राष्ट्रीय शांति का समर्थक, समृद्धि और सतत विकास के सिद्धांत,जलवायु परिवर्तन, युद्ध, आतंकवाद और वैश्विक निर्धनता के विभिन्न पक्षों पर मोदी के सुझाव समाधान करने वाले हैं.
पापुआ न्यू गिनी इंडोनेशिया के समीप प्रशांत महासागर क्षेत्र में एक स्वतंत्र राष्ट्र है जो दक्षिण पश्चिम प्रशांत महासागर क्षेत्र में द्वीपों का एक समूह है। यहाँ की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी है। इसकी जनसंख्या साठ लाख है.
पापुआ न्यू गिनी ने पीएम नरेंद्र नोदी को कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगहू से सम्मानित किया है। यह उन्हें पापुआ न्यू गिनी के गवर्नर जनरल सर बॉब डाडे द्वारा प्रस्तुत किया गया था। जापान के हिरोशिमा में जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद प्रधानमंत्री रविवार को पापुआ न्यू गिनी की यात्रा के दूसरे चरण में पहुंचे थे. पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारपे ने कहा कि नरेंद्र मोदी को वैश्विक नेता बताया. नरेंद्र मोदी ने ने पापुआ न्यू गिनी को पूर्ण समर्थन दिया. य़ह देश भी वैश्विक पावरप्ले का शिकार रहा है.भारत यहां के विकास भागीदार बनेगा.भारत बहुपक्षवाद में विश्वास करता हैं. इसके साथ ही भारत एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी भारत-प्रशांत का समर्थन करता है. नरेंद्र मोदी ने ऐसे छोटे देशों को नया नाम दिया.
उन्होंने कहा कि प्रशांत द्वीप राष्ट्र छोटे द्वीप राज्य नहीं बल्कि बड़े महासागरीय देश हैं. नरेंद्र मोदी ने पापुआ न्यू गिनी के प्रधान मंत्री जेम्स मारपे के साथ तीसरे भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग शिखर सम्मेलन की सह अध्यक्षता की थी.
सभी चौदह प्रशांत क्षेत्र द्वीप देशों के राष्ट्रप्रमुखों का एक साथ एक कार्यक्रम में सम्मलित होना विलक्षण है. भारत प्रशांत द्वीप देशों के साथ अपने अनुभव और क्षमताएं साझा करने को तैयार है। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा, भूख, गरीबी और स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियां पहले से ही थीं, अब नई समस्याएं पैदा हो रही है.
भारत मुश्किल के समय में अपने मित्र प्रशांत द्वीप देशों के साथ खड़ा रहा। भारत जी-20 के माध्यम से ग्लोबल साउथ की चिंताओं, उनकी अपेक्षाओं और उनकी आकांक्षाओं को दुनिया तक पहुंचाना अपनी जिम्मेदारी समझता है। नरेंद्र मोदी जेम्सा मारापे ने राजधानी पोर्ट मोरेस्बी में एक द्विपक्षीय बैठक की. जिसमें वाणिज्य, प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य देखभाल के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन में सहयोग पर चर्चा की गई। वाणिज्य, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा और जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने में सहयोग बढ़ाया जाएगा.
चीन इस क्षेत्र में अपने सैन्य और कूटनीतिक प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। जबकि भारत अपनी क्षमताओं के अनुरूप सभी साथी देशों की सहायता करता रहा है. कुछ समय पहले नरेंद्र मोदी और संयुक्त राष्ट्र संघ महा सचिव ने मिशन लाइफ मतलब लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट लॉन्च किया था। भारत ने अंतरराष्ट्रीय सोलर एलायंस स्थापित किए है. सोलर एलायंस के साथ ज्यादातर देश जुड़े हैं।
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य आगे रखे हैं। इन पर कार्य चल रहा है. नरेंद्र मोदी ने पापुआ न्यू गिनी की अपनी यात्रा के दौरान प्राचीन तमिल पाठ तिरुक्कुरल पर अनुवादित पुस्तक का विमोचन किया. जेम्स मारापे के साथ ‘थिरुक्कुरल इन टोक पिसिन’ पुस्तक लॉन्च की। इस प्राचीन तमिल पाठ का अनुवाद प्रधानमंत्री जेम्स मारपे के विशेष अनुरोध पर पापुआ न्यू गिनी की स्थानीय भाषा टोक पिसिन में शशिंद्रन मुथुवेल और सुभा अबरना द्वारा किया गया है। मूल रूप से तमिलनाडु का यह जोड़ा पापुआ न्यू गिनी में रहता है.इस पुस्तक को लिखने की उनकी प्रेरणा दुनिया में समृद्ध सांस्कृतिक विविधता की सराहना करना और पापुआ न्यू गिनी और भारत के लोगों के बीच एक बड़ा सांस्कृतिक जुड़ाव भी बनाना था।
इस जोड़े ने पापुआ न्यू गिनी में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने वाले संगठन पीएनजी तमिल वलार्की संगम की भी स्थापना की. इस पुस्तक का निर्माण टोक पिसिन भाषा के स्थानीय विशेषज्ञों, विशेष रूप से एक वरिष्ठ शिक्षा सलाहकार मार्टिन बाई के योगदान के माध्यम से भी संभव हुआ हैं. यह पुस्तक पापुआ न्यू गिनी के लोगों के बीच तमिल संस्कृति और परंपराओं के प्रति बहुभाषी पहुंच सुनिश्चित करती है.प्रशांत द्वीप समूह में आइलैंड्स, फिजी, किरिबाती,मार्शल आइलैंड्स, माइक्रोनेशिया, नाउरू,नीयू,पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, समोआ,सोलोमन आइलैंड्स, टोंगा, तुवालु और वानुअतु शामिल हैं. य़ह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करने और इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने की दिशा में परस्पर सहयोग से कार्य करता है.